CORONA CHINA AND F D I

                                                             कोरोना चाइना और F D I                                                                                                 आज जब कोरोना महामारी  अपने रौद्र रूप में आकर  तांडव मचा रही है ,समस्त विश्व इस महामारी से त्राहिमाम कर रहा है,और इस से उभरने के हर संभव प्रयास कर रहा है। लेकिन अफसोस कुदरत या चीन की इस मार का हल 4 महीने बीत जाने के बाद भी संसार क़ि तमाम ताकतें मिलकर अभी तक नहीं ढूंढ पायीं  है।                                                                                                                                                                                      

 प्राकृतिक या चीन का वायरस                                                                                         

   अगर इसे प्राक्रतिक मानकर इस विषय में बात की जाये तो भी चीन इस महामारी के जुर्म से अपने दामन को पाक साफ नहीं रख सकता ,क्योकि इसकी शुरुवात चीन के वुहान प्रान्त से हुईं थी. व चीन इस महामारी के समस्त राज शुरू से ही छिपाता रहा ,और इस महामारी को चीन से निकल सम्पूर्ण विश्व में फ़ैलने तक वो पुरे विश्व को इस पर गुमराह करता रहा। इस काम में who की भूमिका भी गैर जिम्मेदाराना रही है ,जो मार्च तक ये कहता रहा की covid 19 एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता। अगर  सम्पूर्ण विश्व को चीन इस विषय मेंअपनी बात साँझा करता तो ये महामारी इतना विकराल रूप ना ले पाती।दूसरा पहलु ये है की  चीन vs अमेरिका का जो अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक युद्ध चल रहा है उसके परिणाम स्वरुप चीन की तरफ से चली गयी कोई चाल भी हो सकती है। 

                       

 आज covid 19 फैलने के कारण कोई भी हो,लेकिन चीन का विश्व मानव जाति के विरुद्ध जो गैर जिम्मेदाराना रवैया है वो हर  तरह से चीन पर अंगुली उठाने के लिए  पुरे विश्व को मजबुर कर रहा है ,चाहे मेडिकल इमेरजैंसी हो चाहे डूबती कम्पनीयो पर अपना कब्ज़ा कर विश्व इकोनॉमी में अपना वर्चस्व स्थापित करने की लालसा चीन हर तरह के हथकंडे अपना रहा है ,चीन डुबते शेयर  मार्किट व बहुत सी कम्पनीयो में प्रत्यक्ष निवेश कर उन पर कब्ज़ा करने की लालसा से काम कर रहा है। जिसकी पुरे विश्व में एक सुर में आलोचना भी हो रही है।G 7 देशो की बैठक में भी चाइना पर प्रतिबन्धो तथा जुर्माने की बात कही गयी है। भारत ने चाइना  की पुरानी आदत व विस्तारवादी निति को भांपते हुए अपने देश की किसी भी कंपनी में निवेश बढ़ाने पर भारत सरकार की अनुमति आवश्यक कर दी है।इसके लिए सरकार ने F D I के नियमो में भी बदलाव किये है ताकि चीन की मार से देश की कम्पनीयो को बचाया जा सके।इस बात से चीन बहुत खफा हुआ है।लेकिन भारत सरकार के इस साहसिक कदम की भारत में ही  नहीं अपितु विश्व के कई देशो ने सराहना की है।         

                                    जापान ने की 2 .2 बिलियन डॉलर राहत पैकेज कीघोषणा                                       

  आज विश्व संकट काल में चीन के इस गैर जिम्मेदाराना व मौका परस्त व्यवहार  के कारण बहुत से देश नाराज होकर चीन से अपना कारोबार समेटने पर गंभीरता से विचार कर रहे है ,बहुत से देशो ने अपने देश की कम्पनीयो को जो चीन में उत्पादन का कार्य कऱ रही है,वहाँ  से अपना व्यापार समेटने पर राहत  पैकेज देने का आश्वाशन  दिया है,जापान ने तो इसके लिए 2 .2 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा भी कर दी है। इसमें लगभग 2 बिलियन डॉलर  तो वापिस जापान में अपनी यूनिट लगाने के लिए तथा बाकि चीन को छोड़ किसी अन्य देश में अपनी यूनिट ले जाने पर मुआवजे के तौर पर दिए जायेगे।अमेरिका भी अपनी CO.को चीन छोडने वअन्य देशो में यूनिट लगाने के लिए अडवायजरी ज़ारी कर रहा है।     

                                                                        जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे                                                                   ऐसे  माहौल में भारत की तरफ सभी आशा भरी निग़ाह से देख रहे है। कोरोना लड़ाई में भारत की रणनीति  की पूरा विश्व एक सुर  में तारीफ कर रहा है।Hydroxychloroquine  दवाई के मामले में जो भारत का  ने दूसरे देशो का सहयोग किया है  , उससे पूरा विश्व भारत की प्रंशसा कर रहा है। आज चीन को छोड़ दुसरी जगह तलाशती कम्पनीयो की लिस्ट में भारत सबसे ऊपर है,भारत की मोदी सरकार भी इस मौके से चुकना नहीं चाहती और इसके लिए सरकार ने अपनी रणनिति बना तैयारी तेज कर दीहै ,सरल भाषा मेंजिस गुजरात मॉडल में कम्पनीयो को सस्ती जमीन व् अन्य सुविधाएं और उनकी आवश्यकताओ के अनुसार माहौल का प्रावधान होता है  उसी तर्ज पर समस्त भारत में माहौल बनाया जा रहा है.नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (New & Renewable   Energy Ministry) ने बिना देरी किए विदेशी कम्पनियो  के स्वागत की  तैयारी  भी शुरू कर दी है। 



      नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव आनंद कुमार ने कहा कि हम निवेश के अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इज ऑफ डूइंग बिजनेस में और बढ़ोतरी करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा माहौल बनाने की कवायद है जिससे निवेश करने वाले को बिजनेस में रिस्क बहुत कम हो. हम ऐसा इकोसिस्टम बनाने की की ओर हैं जिसमें रीन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में काम आने वाले एंसिलरीज़ और उपकरण मेड इन इंडिया हो,हमारी मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज अपने एक्सपोर्ट के जरिए दुनिया की सेवा कर सके.                                                                                                            फैक्टरियों के लिए जमीन तलाशने में तेजी

 रीन्यूवेबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग एनर्जी पार्क बनाने के लिए देश के सभी राज्यों और पोर्ट ट्रस्ट को चिट्ठी लिख कर जमीन तलाशने को कहा है. ताकि चीन से भारत आने वाली संभावित कंपनियां कम समय में नए यूनिट लगाकर उत्पादन शुरू कर सकें. मंत्रालय ने यूनिट लगने पर एनर्जी पार्क को कई तरह के इंसेंटिव भी देने की योजना बनाई है. 

                                                    एनर्जी पार्क में तैयार होंगे कई उत्पाद

इस पार्क में सोलर सेल, मॉड्युल्स, बैटरी, इनवर्टर जैसे वस्तुओं का उत्पादन होगा. साथ ही यहां सोलर एनर्जी से संबंधित अन्य प्रोडक्ट्स भी तैयार किए जाएंगे.इस समय सोलर सेल और मॉड्युल का 85% विदेशों से आयात किया जाता है. ,यानि सोलर पावर विदेशी इंपोर्ट के भरोसे ही है। सरकार को उम्मीद है कि अगर देश में नए सोलर पावर मैन्युफैक्चरिंग पार्क बने तो इस समस्या से निजात मिल सकती है।  अंत में कहा जा सकता है की भारत की वर्तमान सरकार जो साहसिक फैसले ले रही है उनसे आने वाले समय में भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर जरूर होगा । 


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