आर्थिक मोर्चे पर चीन से लड़ने के लिए भारत की तैयारी,भारत ने कड़े किये तेवर.उधोग जगत से महत्वपूर्ण जानकारीयां मांगी गयी,FDI पर कड़ी नजऱ.
पिछले कुछ सालो से भारत की निर्भरता चीन पर बहुत बढ़ती जा रही है,इसी का परिणाम है की भारत का व्यापार घाटा अप्रैल-फरवरी 2019-20 के दौरान करीब 47 अरब डॉलर रहा।
अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के दौरान भारत ने चीन से 62.4 अरब डॉलर का आयात किया था जबकि इस दौरान भारत का चीन को निर्यात महज 15.5 अरब डॉलर रहा था।
बढ़ता व्यापारिक घाटा किसी भी लिहाज से भारत के लिए फायदे का सौदा नहीं है,सरकार इस पर चिंता भी जता चुकी है,ये देश के विकास में भी एक बहुत बड़ी बाधा है।
सरकार के “लोकल के वोकल”बनने के नारे की पीछे भी ये चिंता ही थी,तेजी से बदलते हालातो में देश को आत्मनिर्भर बनाना आज के समय की नितांत आवश्यकता है।
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एक तो चीन के साथ व्यापारिक घाटा और दुसरा चीन की लद्दाख क्षेत्र में की जा रही कायराना हरकतों से आज सरकार को कुछ कड़े व बड़े कदम उठाने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है .
सूत्रों के अनुसार चीन पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के उपायों के बारे में हाल में प्रधानमंत्री कार्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। सरकार ने उधोग क्षेत्र से विदेशों खासकर चीन से आयात होने वाले सामान के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है इसके अलावा 2014-15 और 2018-19 के बीच आयात में तेजी के आंकड़े, भारत में बनने वाले इसी तरह के सामानों का मूल्य, घरेलू क्षमता, मुक्त व्यापार समझौतों के तहत होने वाले आयात तथा ड्यूटी के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।
इसका मकसद चीन से आने वाले घटिया सामान का आयात रोकना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है
इंडस्ट्री से मांगा सुझाव-
इंडस्ट्री को चीन से होने वाले कुछ सामान और कच्चे माल के बारे में सुझाव देने को कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक इस सामान में कलाई घड़ी, दीवार घड़ी, ग्लास रॉड्स एवं ट्यूब्स, हेयर क्रीम, हेयर शैंपू, फेस पाउडर, आई एंड लिप मेक अप प्रीपेरेशंस, प्रिंटिंग इंक, पेंट्स और वार्निश तथा तंबाकू के कुछ उत्पाद शामिल हैं।
चीन से एफडीआई पर लगाम-