Lok sabha Election-लोकसभा चुनावो में निर्दलियों से जुड़े कुछ रोचक किस्से। ‘धरती-पकड़’ और चुनावी राजा के नाम से मशहूर लोगो की कहानी। लिम्का बुक और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज उम्मीदवार।

Lok sabha Election-

इस वक्त देश लोकसभा चुनावो के रंग में डूबा हुआ है। 19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक देश भर में सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। पार्टियों के अधिकृत उम्मीदवारों के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी पुरे जोश से मैदान में है।

Lok sabha Election: 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कुल 8,054 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिनमें से 3,461 निर्दलीय थे इनमे से महज 4 ही जीतकर संसद पहुंचे थे। 

2024 के इस सियासी समर में भी कई निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

इन निर्दलीय उम्मीदवारों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने दशकों से चुनाव में अपना भाग्य आजमाया है। भले ही उन्हें जीत नसीब ना हुई हो लेकिन कई रिकार्ड अपने नाम जरूर कर लिये है.

 Lok sabha Election आज बात करेंगे इन्हीं निर्दलीय उम्मीदवारों से जुड़े दिलचस्प किस्सों की…
Dhartipakad
काका जोगिंदर सिंह उर्फ Dhartipakad ‘धरती-पकड़’ –
इस नाम को 90 के दशक में खुब सुर्खिया मिली थी,कारण कपड़ा-दुकान के मालिक काका जोगिंदर सिंह ने 300 से अधिक चुनाव लड़े और सभी में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी कारण काका जोगिंदर सिंह को ‘धरती-पकड़’ Dhartipakad के नाम से भी जाना जाने लगा, काका जोगिंदर सिंह ने देश के राष्ट्रपति पद के लिए कई चुनावों में भी अपनी किस्मत आजमाई ,उन्होंने 1990 के दशक में 14 राज्यों से चुनाव भी लड़ा जिसमें ज्यादातर विधानसभा के थे, उन्होंने हमेशा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और हमेशा अपनी जमानत राशि खो दी। काका जोगिंदर सिंह उर्फ ‘धरती-पकड़’ की 1998 में मृत्यु हो गई।
हर चुनाव में नया नाम-
खुद को ओशो का शिष्य बताने वाले 78 वर्षीय पुणे के विजय प्रकाश कोडेकर भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हैं,उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने का तरीका चर्चा का विषय है ,विजय प्रकाश चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग नाम का इस्तेमाल करते हैं, विजय प्रकाश नाम बदलने की सभी औपचारिकताएं पूरी करते हैं और फिर नए नाम से चुनाव लड़ते हैं।’पुणे के विजय प्रकाश कोडेकर अब तक 24 चुनाव लड़ चुके है ,विजय प्रकाश कोडेकर राज्य बिजली बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं.78 वर्षीय कोडेकर सफेद धोती पहनकर प्रचार करते हैं,विजय प्रकाश शून्य बजट में चुनाव प्रचार की वकालत करते हैं,2024 लोकसभा चुनावो में विजय प्रकाश कोडेकर लातूर से लोकसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं.
Lok sabha Election-Election King
एक ऐसा उम्मीदवार जो खुद को वोट ना देने के लिए प्रचार करता है -Election King’चुनावी राजा’
तमिलनाडु के सालेम निवासी डॉ के के पद्मराजन ने पहली बार साल 1988 में चुनाव लड़ा था, जिसमें वह हार गए थे. वह उसके बाद से हर चुनावी रण में रहे हैं. उनको 65 साल की उम्र और 238 चुनावों में एक बार भी जीत नहीं नसीब हुई. हालांकि, उन्होंने इस बार के आम चुनाव के लिए भी दावेदारी पेश की और दो जगहों (केरल के त्रिशूर और तमिलनाडु के धर्मपुरी) से नामांकन दाखिल किया. यानी वह 239वीं बार सियासी मैदान में किस्मत आजमाने जा रहे हैं. 
पद्मराजन गर्व से खुद को ‘चुनावी राजा’ कहते हैं और वो लोगों से उन्हें वोट न देने का आग्रह करते हैं. डॉ के के पद्मराजन ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उनका ‘सबसे असफल उम्मीदवार’ होने का तमगा बरकरार रखे।
लिम्का बुक, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है नाम
डॉ के के पद्मराजन 65 साल के हैं. वह अब तक के चुनावी इतिहास में देश के सबसे असफल उम्मीदवार हैं. के के पद्मराजन का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के रूप में दर्ज है. उन्होंने 1988 से चुनाव लड़ना शुरू किया था.  
के. पद्मराजन का दावा है कि धूमधाम के साथ पर्चा भरने के खर्च के अलावा उनकी जमानत राशि में अब तक 80 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। पद्मराजन टायर मरम्मत की दुकान के मालिक हैं। 
उन्होंने 1988 में तमिलनाडु में अपने गृह नगर मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया और तब से लगातार अब तक 238 चुनाव लड़ चुके हैं। पद्मराजन ने पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहार वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है। इसके अलावा वो जयललिता, एम करुणानिधि, वाईएसआर रेड्डी और एके एंटनी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों से लेकर फिल्मस्टार हेमा मालिनी और विजयकांत तक के खिलाफ अपनी किस्मत आजमा चुके है।
पद्मराजनन कहते हैं, ‘यह मेरा 239वां प्रयास होगा मैने हर बार एक अनोखी लड़ाई चुनी।’ इस बार दक्षिण भारत से चुनाव लड़ रहे नेता का चुनाव अभियान भी अनोखा है। डॉ के के पद्मराजन बताते हैं, ‘मैं लोगों से कहता हूं कि वे मुझे वोट न दें, मुझे वोट नहीं चाहिए लेकिन मैं सबसे असफल उम्मीदवार का तमगा अपने पास रखना चाहता हूं। मैं प्रचार नहीं करता, लेकिन जब मैं नामांकन दाखिल करने जाता हूं, मैं इसे भव्य तरीके से करता हूं।’
पिता की विरासत को आगे ले जाता बेटा दशकों से निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है
मध्य प्रदेश,इंदौर के परमानंद तोलानी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं जिन्होंने तीन दशकों तक बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। परमानंद अनुसार , ‘मेरे पिता का 1988 में निधन हो गया था और ‘मेरे पिता की इच्छा थी कि हमें इस काम को तब तक नहीं रोकना है जब तक कि परिवार से कोई निर्वाचित न हो जाए। मैं उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं। अगर मैं अपने जीवनकाल में ऐसा करने में सफल नहीं हुआ, तो मेरी दोनों बेटियां ये कमान संभालेंगी।’ अब तक 8 लोकसभा और 8 विधानसभा सहित 18 चुनाव लड़ चूका हूँ । मैं आगामी लोकसभा चुनाव भी लड़ूंगा।’
65 वर्षीय तोलानी प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं।
काशी का धरतीपकड़ नरेंद्र नाथ दुबे ‘अडिग’
2014 से वाराणसी सीट पुरे विश्व में चर्चित है कारण नरेंद्र मोदी का चुनावी रण क्षेत्र ,प्रधानमंत्री 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव वाराणसी सीट से रिकार्ड मतों से जीत कर देश के प्रधानमंत्री बने है, लेकिन इससे पहले इस सीट की चर्चा नरेंद्र नाथ दुबे ‘अडिग’ के कारण भी होती थी, नरेंद्र नाथ दुबे ‘1984 से हर चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ते रहे और हर बार अपनी जमानत खोते रहे । 2022 में उनका निधन हो गया। उन्हें काशी का धरतीपकड़ भी कहा जाता था.
चुनाव प्रचार के तरीके से चर्चित-
हैदराबाद के तकनीकी विशेषज्ञ रविंदर उप्पुला प्रत्येक लोकसभा चुनाव के लिए अपने अलग-अलग प्रचार रणनीतियों के कारण चर्चा में रहते है। इस बार वो कह रहे है की अगर मैं निर्वाचित हुआ, तो हर 100 दिन में झूठ पकड़ने वाला परीक्षण करवाऊंगा ताकि जो जनता मुझे वोट दे वह अपने आप को ठगा हुआ महसूस न करे।
इसके साथ ही वो कहते है की हमारे नेताओं को भी भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ऐसा ही करना चाहिए।’रविंदर उप्पुला 2014 में भ्रष्टाचार विरोधी मार्च से चर्चित थे तो 2019 में उपवास के कारण।
रविंदर उप्पुला चुनाव प्रचार में बढ़ते खर्च पर निराशा व्यक्त करते है, वो कहते है की भारत जैसे विकासशील देश में प्रचार करना महंगा नहीं होना चाहिए,चुनाव मैदान में उतरने के लिए एक एजेंडा और सही वादा ही काफी होना चाहिए।’


https://newsjanhit.com/2024/03/lok-sabha-chunav-sandeshkhali.html Lok Sabha Chunav लोकसभा चुनाव में संदेशखाली Sandeshkhali पीड़िता रेखा पात्रा बशीरहाट से बीजेपी उम्मीदवार

https://www.eci.gov.in/ELECTION COMMISSION OF INDIA

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