भारत में स्विस कम्पनी राश की एंटीबॉडी कॉकटेल दवा को कोरोना के इलाज में प्रयोग करने की मंजूरी।

 

 भारत में कोविड-19 के इलाज में अब स्विस कंपनी रॉश की एंटीबॉडी कॉकटेल दवा का भी प्रयोग शुरू। 

भारत सरकार ने एक विदेशी कंपनी की दवाई को कोविड-19 के इलाज में इमरजेंसी इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है.इसे एक स्विस कंपनी रॉश ने बनाया है.इसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल कहते हैं.ये दवा हैं -कैसिरिविमाब (Casirivimab) और इम्डेविमाब (Imdevimab)


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इस दवाई में दो एंटीबॉडी का मिश्रण कृत्रिम तरीक़े से लैब में तैयार कर इसे बनाया गया है.ये एंटीबॉडी कृत्रिम तरीक़े से लैब में बनाई गई है,इसलिए कोरोना के नए वेरिएंट आने पर भी ये बेअसर नहीं होगी.कुछ बदलाव के साथ कोरोना के नए वेरिएंट के ख़िलाफ़ भी इसे आसानी से असरकारी बनाया जा सकता है.

भारत में कहां प्रयोग में लायी जा रही है ये दवा-

फ़िलहाल मेदांता अस्पताल और देश भर के अपोलो अस्पताल में ये दवा कोविड-19 के इलाज के इस्तेमाल में लाई जा रही है

दवा कैसे कार्य करती है-

  शरीर के अंदर जैसे ही ये दवा पहुँचती है ये वायरस को वही पर रोक देती है जिस वजह से कोरोना वायरस दूसरी कोशिकाओं प्रवेश नहीं कर पाता.ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि इस दवाई के तत्व उसे शरीर के अंदर फैलने और बढ़ने के लिए ज़रूरी पोशक तत्वों की सप्लायी रोक देते है,मतलब ये कि दोनों एंटीबॉडी मिलकर वायरस को मल्टीप्लाई शरीर में मल्टीप्लाई होने से रोकते हैं और इस तरह से वायरस को बेअसर(न्यूट्रीलाइज़) कर देते हैं.

 इस दवाई के बारे दावा किया जा रहा है कि पिछले साल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी ये दवा कोविड-19 बीमारी के इलाज के दौरान दी गई थी.और इस दवाई के असर से  वो  दो-तीन दिन के अंदर ही वो अपने काम पर लौट पाए थे.

 वर्तमान में कोविड-19 की दवा के तौर पर अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है.

रॉश कंपनी के साथ भारत की सिप्ला कंपनी का करार-

भारत में इसे अब मंज़ूरी मिली है.रॉश कंपनी के साथ भारत की सिप्ला कंपनी ने क़रार किया है. भारत की दूसरी फ़ॉर्मा कंपनियाँ भी भारत में इस तरह के एंटीबॉडी कॉकटेल बनाने की तैयारी में है.

किसी मरीज का कोविड-19 टेस्ट पॉज़िटिव आने पर ये दवा डॉक्टरों की सलाह पर 48-72 घंटे के अंदर दी जा सकती है.बीमारी के पता चलने के बाद जितनी जल्दी ये दवा दी जा सके उतना बेहतर होता है. 

इसके पीछे ये कारण बताया जा रहा हैं कि शरीर के अंदर वायरस के प्रवेश करने पर पहले सात दिन में ये वायरस सबसे तेज़ी से फैलता है.

इसीलिए इस दवाई से जितनी जल्द वायरस के मल्टीप्लाई होने की रफ़्तार पर लगाम लगा पाएँगे,उतनी जल्दी ही मरीज़ ठीक होगा.

वायरस के शरीर में संक्रमण फैलने के सात से 10 दिन के अंदर लेने पर ही इस दवा का असर देखने को मिलता है.


ये दवा कोविड-19 के हल्के और गंभीर लक्षण वाले मरीज़ों के लिए है.लेकिन डॉक्टर की सलाह ज़रूरी है.इस दवा पर शोध में पाया गया है की ऐसे मरीज़ जिनकी उम्र ज़्यादा है उन मरीजों पर इस्तेमाल करने पर 70 फ़ीसद तक उन्हें अस्पताल जाने से बचाया जा सकता है,इसके अलावा ज्यादा गंभीर स्थिति में जिन मरीज़ों को अस्पताल तुरंत ही ले जाने की नौबत आई,उनमें से भी 70 फ़ीसद की जान बच गई. 

12 साल से ज़्यादा उम्र के बच्चों को भी ये दवा दी जा सकती है अगर उनका वज़न 40 किलो से ज़्यादा है.

अति गंभीर मरीजों पर इस दवा का असर नहीं-

लेकिन कोविड-19 संक्रमण के अति गंभीर मरीजों पर इस दवा का असर नहीं होता अथार्त जो  मरीज़ अस्पताल में भर्ती है औरऑक्सीजन स्पोर्ट पर हैं,जिनके फेफड़ों में वायरस घर बना चुका है,उन पर ये दवा  काम नहीं करती है 

इस दवा को डॉक्टरों की देखरेख में ही देने की सलाह दी जाती है.डॉक्टर एहतियात के तौर पर इस दवा के इस्तेमाल की सलाह नहीं देते.क्योकी शरीर में इसका असर 3-4 हफ़्ते तक ही रहता है. 

जब तक कोविड-19 की जांच रिपोर्ट पॉज़िटिव ना आए, इसे लेने की सलाह नहीं दी जा रही. लेकिन कोरोना वैक्सीन लेने के बाद अगर आप संक्रमित होते हैं,उस सूरत में ये दवा ली जा सकती है.

इस एंटीबॉडी कॉकटेल की 1200मिलीग्राम (कैसिरिविमाब 600 मिलीग्राम और इम्डेविमाब 600 मिलीग्राम) एक डोज़ ही हर मरीज़ को दी जानी चाहिए.एक डोज़ की कीमत 59 हज़ार 750 रुपये हैं. इस दवा के एक पैक से दो मरीज़ो का इलाज किया जा सकता है. 

इसे दो से आठ डिग्री तापमान पर साधारण फ़्रिज में ही स्टोर किया जा सकता है.

अपोलो अस्पताल की तरफ़ से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि पहली खेप में भारत को दवा के एक लाख पैकेट मिले हैं यानी आज की तारीख़ में दो लाख लोगों का इलाज इस दवा से संभव है.

दुनिया भर में कई हज़ार मरीज़ों पर इसका इस्तेमाल हो चुका है,लेकिन किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.अब तक इसके कोई बड़े साइड इफे़क्ट देखने को नहीं मिले हैं.माइनर साइड इफ़ेक्ट जरुर देखने को मिले हैं.

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