DRDO की कोरोना (corona )दवा ‘2 DG’,जिसे कोरोना के खिलाफ संजीवनी कहाँ जा रहा है,जाने ये कैसे काम करती है।

 

क्या है DRDO की कोरोना दवा ‘2 DG’,इसे कोरोना के खिलाफ जंग में ‘संजीवनी’ क्यों कहा जा रहा है। 

भारत ने आज कोरोना(corona ) के खिलाफ अपनी जंग को और तेज करते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की नई दवा को कोरोना मरीजों के लिए  उपयोग को  लिए मंजूरी दे दी । इस दवा का नाम 2-डीऑक्‍स‍ी-डी-ग्लूकोज(‘2 DG’) है। डीआरडीओ द्वारा विकसित कोरोना की इस दवा 2-डीजी (2-deoxy-D-glucose) को देश में कोरोना के खिलाफ  ‘संजीवनी’ भी कहा जा रहा है।

सोमवार को डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की ओर से तैयार की गई कोरोना वैक्सीन 2DG को हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन को सौंपा। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री की ओर से इस दवा को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया को सौंपा गया।

 दवा को रिलीज किए जाने के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि डीआरडीओ के सहयोग और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की लीडरशिप में इस वैक्सीन को तैयार किया गया है। यह भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी वैक्सीन हो सकती है, जो कोरोना संकट से निपटने में मदद करेगी।

 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के इनमास लैब के वैज्ञानिकों ने यह दवा (Corona drug ‘2DG’) डाक्टर रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर बनाई है।

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 इस दवा के मरीजों पर इस्तेमाल को डीसीजीआई ने भी मंजूरी दे दी है। 

डीआरडीओ की प्रयोगशाला आईएनएमएएस द्वारा दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का एक एंटी-कोविड-19 चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित किया गया है। 

यह दवा कोरोना के मरीजों के लिए काफी असरदार मानी जा रही है।

इस दवाई की सबसे खास बात ये मरीजों की ऑक्सीजन(oxygen) पर निर्भरता को कम करती है माना जा रहा है इस  दवा से कोरोना मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद मिलेगी। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा मरीजों के लिए उम्मीदें काफी बढ़ाने वाली है।अब तक सामने आए शोध के अनुसार, यह दवा रोगियों को तेजी से ठीक करने में मदद करती है।

 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवाई कैसे काम करती है-

 यह दवा ग्लूकोज का एक सब्स्टिट्यूट है।

 कोरोना वायरस अपनी एनर्जी के लिए मरीज के शरीर से ग्लूकोज लेता है, मगर ग्लूकोज के धोखे में वह इस दवा का इस्तेमाल करने लगता है जिससे वायरस को एनर्जी मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल सिंथेसिस बंद होने लगता है।

 इस तरह नए वायरस का बनना बंद हो जाता है और साथ ही बाकी वायरस भी मरने लगते हैं।इससे कोरोना मरीजों के अस्पताल में बिताए जाने वाले दिनों की संख्या कम हो जाने की उम्मीद है

 ये दवाई कैसे ली जाती है –

कोरोना की ये दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकती है। वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जाना इस दवा को सबसे बेजोड़ बनाता है।

कब और कितनी मात्रा में ली जाती है ये दवा-

यह दवा सैशे (पाउच) में पाउडर के रूप में मिलेगी, जिसे पानी में मिलाकर मुंह से ही मरीज को दिया जाएगा। हालांकि यह दवा की कितनी मात्रा और कितने समय में दी जानी है, इसका निर्णय डॉक्टरों को करना है । 

 डॉक्टर मरीज की उम्र, मेडिकल कंडीशन आदि की जांच करके ही दवा की मात्रा व समय पर  करेंगे। 

 डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बिना डॉक्टर की सलाह, कोरोना से बचने के नाम पर या ज्यादा मात्रा में यह दवा न लेने की चेतावनी भी दी है।

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