अमेरिका और चीन के बीच तेज हुआ वाक् युद्ध,ताइवान को पीएसी-3 वायु रक्षा मिसाइल देने से चीन बुरी तरह बौखलाया.

  अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर(TradeWar) अब Weapon वॉर(हथियार) बनने की औरआगे बढ़ती नजर आ रही है,कोरोना के लिए अमेरिका सीधे सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराता रहता है,जिससे चीन हमेशा बौखलाया रहता है.
चीन की विस्तार वाद की भूख पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध बनने में बाधा है,भारत के साथ लद्दाख में तनाव सिर्फ भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की चीन की एक चाल है,वो भारत पर अपनी हर बात थोपने की कोशिश करता है,लेकिन अब सरकार उसकी हर गलत बात का विरोध कर रही है और इसी क्रम में सरकार ने चीन के ऊपर आर्थिक हमला बोलते हुए देश में बहुत से चीनी प्रोजेक्ट और ऍप पर प्रतिबंध लगा दिया। 
तथा चीन से एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपनी सेना को बॉर्डर पर पूरी छुट के साथ तैनात कर दिया,जिससे चीन वार्ता के लिए व अपनी सेना पीछे लेने के लिए मजबुर हो गया। 
हाल में भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते सम्बन्धो के कारण चीन बुरी तरह बौखला गया है.
भारत से मिले करारे जवाब के बाद चीन के तेवर कुछ नरम पड़े है, लेकिन भारत अलर्ट मोड़ पर है,चीन पर उसकी पैनी नजर है.
साउथ चाइना सी विवाद में चीन और अमेरिका आमने सामने खड़े होते दिख रहे है,अमेरिका अब चीन को काबु करने के लिए खुलकर बोल रहा है व हर उस विकल्प पर काम कर रहा है,जो जरुरी है। 
इसी क्रम में अमेरिका ने प्रशांत महासागर में अपने एक बेहद पुराने नौसैनिक बेस वेक द्वीप पर बने नेवल बेस को आधुनिक बनाने का काम तेज गति से शुरू कर दिया है।यह अमेरिका के हवाई और जापान के बीच में स्थित है। अमेरिका अपने गुआम में बने नेवल बेस और वेक द्वीप पर बने नेवल बेस से चीन और उत्‍तर कोरिया की हर हरकत पर नजर रख सकेगा। द्वितीय विश्‍व युद्ध के समय वेक द्वीप समूह जापान और अमेरिका के बीच भीषण युद्ध का गवाह बना था।

 यह प्रशांत महासागर में अमेरिका की एक रणनीतिक पोस्‍ट है जहां नौसैनिक आराम करते हैं और तेल तथा अपने साधन रिपेयर कराते हैं यहां पर अमेरिकी वायुसेना के लिए आधारभूत ढांचे बनाए जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह अमेरिकी नेवल बेस चीन और उत्‍तर कोरिया के मध्‍यम दूरी की मिसाइलों की रेंज में नहीं आता है। इस द्वीप पर तीन किमी लंबा रनवे है।यहां पर लड़ाकू विमान आसानी से उतर सकते हैं। इस पूरे अड्डे को अब आधुनिक रूप दिया जा रहा है.
चीन साउथ चाइना सी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कृत्रिम द्वीप बनाने के बाद चीन रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस समुद्र में एक और नापाक कदम उठाने की तैयारी में है।करीब 10 साल तक योजना बनाने के बाद चीन अब दक्षिण चीन सागर में एयर डिफेंस आइडेंटिफ‍िकेशन जोन बनाने जा रहा है।चीन अपने इस जोन में ताइवान और वियतनाम के नियंत्रण वाले द्वीपों को भी शामिल करने जा रहा है जिससे अमेरिका और पड़ोसी देशों के साथ उसका तनाव चरम पर पहुंच सकता है।
चीन यह दावा करता है कि वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और ताइवान से सटा समुद्र तटीय इलाका उसका है।
 चीन ने दक्षिण चीन सागर में परासेल और स्‍पार्टले नाम से कृत्रिम द्वीपों की एक श्रृंखला बनाई है। इन द्वीपों पर चीन ने हवाई पट्टी बनाई है, फाइटर जेट, मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम और अन्‍य सैन्‍य साजो सामान तैनात किए हैं।
 चीन इन द्वीपों के पास व्‍यापक युद्धाभ्‍यास कर रहा है।माना जा रहा है कि चीन यह युद्धाभ्‍यास अपने पड़ोसियों और ताइवान को डराने के लिए कर रहा है।
 अमेरिका ने भी चीन की चुनौती से निपटने के लिएअपने दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर भेजे हैं। ये दोनों विमानवाहक पोत भी दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्‍यास कर रहे हैं।

  साउथ चाइना सी में इस अमेरिकी युद्धाभ्यास से चीन बुरी तरह बौखला गया है,चीन बड़ बोले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका को धमकी देते हुए लिखा की चीनी सेना की किलर मिसाइलें डोंगफेंग-21 और डोंगफेंग-25 अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर सकती हैं।
इस धमकी के बाद अमेरिकी सेना ने अपने फाइटर प्लेनो को चीनी युद्धाभ्यास क्षेत्र के पास उड़ान भरवा कर इस धमकी का करारा जवाब दिया,जिसे ग्लोबल टाइम्स के ट्वीट पर रीट्वीट भी किया गया। 
 ताइवान,जिसे चीन अपना हिस्सा बताता है। ताइवान की राष्ट्रपति साई-इंग-वेन के दोबारा निर्वाचित होने के बाद से बीजिंग और ताइपे के बीच तनाव बढ़ा है क्योंकि वेन ताइवान की स्वतंत्रता की पक्षधर हैं। इस बात पर ताइवान और चीन में तनाव चरम पर है. 

ताइवान की  राष्ट्रपति
taiwan president 
अब अमेरिका ने ताइवान को पीएसी-3 वायु रक्षा मिसाइल करार को मंजूरी दे दी है,इस पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ”चीन मजबूती से अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार बेचने का विरोध करता है। हम अमेरिका का आह्वान करते हैं कि वह ‘एक चीन के सिद्धांत का ईमानदारी से अनुपालन करे, ताइवान को हथियारों की बिक्री बंद करे और ताइवान के साथ सैन्य संबंधों को समाप्त करे ताकि द्विपक्षीय संबंधों को एवं ताइवान जलडमरुमध्य में शांति और सुरक्षा को और नुकसान नहीं पहुंचे।”
और चीन ने चिढ़ते हुए पीएसी-3 वायु रक्षा मिसाइल की निर्माता अमेरिका के शीर्ष हथियार निर्माण कंपनी लॉकहीड मार्टिन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है,चीन और लॉकहीड मार्टिन के बीच अभी तक कोई खरीद समझौता नहीं हुआ है 
उल्लेखनीय है कि यह इस साल यह दूसरा मौका है जब अमेरिका ने ताइवान को हथियार बेचने की मंजूरी दी है। इससे पहले अमेरिका ने 20 मई को ताइवान को 18 एमके-48 मोड-6 आधुनिक तकनीक से लैस शक्तिशाली टारपीडो बेचने की मंजूरी दी थी। 
दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को अमेरिका ने खारिज कर दिया है,और अमेरिका की सेना वहां युद्धाभ्यास कर रही है,एशिया क्षेत्र में अमेरिका अपनी और सेना भेज रहा है, इसी क्रम में ब्रिटेन ने भी अपना एक युद्धपोत 
दक्षिण चीन सागर में भेजने की घोषणा की है। 
पल पल बदलते घटनाक्रम में चीन पर हर तरफ से दबाव बनाने की अमेरिका की रणनीति रोजाना नया रूप लेकर आ रही है.भारत पर विश्वास जताते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान की जमकर आलोचना की है,क्योकि पाकिस्तान चीन के हाथो की कठपुतली बन चुका है.
हाल में चीन भारत के बीच तनाव बढ़ने पर चीन के कहने पर पाकिस्तान ने अपनी सेना भारतीय बॉर्डर पर भारत पर दबाव बनाने के लिए एकदम से बढ़ा दी थी।  
मौजूदा हालात में लगता है कई वर्षो से उलझे मुद्दों पर आर पार का वक़्त नजदीक आ गया है.चीन की हेकड़ी से परेशान सभी देश अब खुलकर चीन के खिलाफ बोलने लगे है।ये चीन के लिए बिल्कुल भी अच्छे संकेत नहीं है.   
 
 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *