कोरोना के बीच चीन में होने लगी भारत को API निर्यात रोकने की बात
कोरोना के बीच चीन में होने लगी भारत को API निर्यात रोकने की बात
जब कोरोना महामारी समस्त विश्व में अपने हाथो से मानव जाति को काल के हाथो में प्रवाहित कर ही है ,
और समस्त विश्व इस महामारी से कराह रहा है,और इससे उभरने के हर संभव प्रयास कर रहा है। लेकिन अफसोस कुदरत या चीन की इस मार का हल 4 महीने बीत जाने के बाद भी संसार क़ि तमाम ताकतें मिलकर अभी तक नहीं ढूंढ पायीं है।
कोरोना पर ताजा अपडेट के लिए क्लिक करे कोरोना और चीन– कोरोना चीन में की गयी मानवीय भूल हो या चीन सरकार की विस्तारवादी निति का दुष्परिणाम इन दोनों ही परिस्थितियों में नतीजा सम्पूर्ण मानव जाति को भुगतना पड़ रहा है। आज 2 लाख से ऊपर मौतों का आकड़ा व 25 लाख से ऊपर कोरोना पॉजिटिव के मामले सम्पूर्ण विश्व के लिए चिंता का काऱण बने हुए है और लगभग सम्पूर्ण विश्व की आर्थिक व्यवस्था इस कोरोना के कारण मृत्यु सैया पर पड़ी है। सबसे बुरी बात जो विश्व के माथे पर चिंता की लकीरे और गहरी करती जा रही है वो यह है की अभी तक इस बीमारी का कोई सही और सटीक इलाज नहीं मिला है। सम्पूर्ण विश्व इस कोरोना के आगे असहाय और लाचार नजर आ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय कंपनीयो के प्रति चीन की निति इन विपरीत परिस्थितियों में भी कोरोना जनक चीन अपनी विस्तार की भुख और विश्व बाजार पर कब्जे की सनक को शांत नहीं रख पा रहा है ,और तरह तरह के हथ कंडे अपना कर अपना वर्चस्व स्थापित करने की लगातार कोशिशे कर रहा है ,इसी लालसा के कारण चीन ने कोरोना काल में दम तोड़ रही अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियो में अपनी हिस्सेदारी डालना और उन्हें ख़रीदना तक शुरू कर दिया है ।
चीन और F D I~ सम्पूर्ण विश्व जहाँ इस वक़्त एक दूसरे की मानवता के नाते हर संभव मदद कर रहा है वही चीन इस कोरोना काल को एक मौके की तरह ले रहा है। चीन की इस मौका परस्ती को सम्पूर्ण विश्व ने समझते हुए व अपनी आर्थिक व्यवस्था व् अपने देश की कम्पनीयो को चीन के चंगुल से बचाने के लिए F D I (प्रत्यक्ष पूँजी निवेश ) नीति में बदलाव करना शुरू कर दिया है , भारत ने कुछ समय पहले ही चीन की इस लालसा को समझते हुए F D I( प्रत्यक्ष पूंजी निवेश ) नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए पड़ोसी देशो द्वारा भारतीय कम्पनीयो में किये जाने वाले प्रत्यक्ष निवेश पर भारत सरकार से मंजूरी को अनिवार्य कर दिया है। भारत सरकार के इस कदम से चीन बुरी तरह से बौखलाया हुआ है, और इसे अन्तर्राष्ट्र्रीय व्यापार निति का उल्लंघन बता भारत पर आरोप लगा रहा है। लेकिन भारत सरकार चीन के इस दबाव में बिल्कुल नहीं आती दिख रही है , जिसके परिणामस्वरूप चीन बौखला कर धमकियां देने पर उतारू है। अब चीन भारत को Active Pharmaceutical Ingredient (API) ना देने की धमकी दे रहा है।
क्या होता है A P I ( ActivePharmaceutical Ingredient ) A P I pharmaceutical (दवाई बनाने वाली )Company में दवाईया बनाने का एक मुख्य घटक होता है या यु कहे दवाई बनाने का मुख्य आधार(कच्चा माल)जिसके बिना दवाईया नहीं बनाई जा सकती। केमिस्ट भाषा में कई जगह इसे साल्ट भी कहते है। (उदहारण जैसे क्रोसिन दवाई का a p i पेरासिटामोल होता है )
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दवाई उत्पादन में भारत की स्थिति ~ आज भारत विश्व में दवाई उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। तथा विश्व में सबसे ज्यादा जेनरिक दवाइयो का उत्पादन भारत में ही होता है। जेनेरिक दवाएं बनाने वाली दुनिया की शीर्ष 20 कंपनियों में आठ कंपनियां भारत की हैं.भारत से निर्यात होने वाली दवाओं में से 55 फ़ीसदी उत्तरी अमरीका और यूरोप आयात करते हैं. भारत से दवाएं आयात करने वाले देशों में अमरीका सबसे बड़ा आयातक है.अफ्रीका के जेनरिक दवाओं के बाज़ार में भारत की साझेदारी 50 फ़ीसदी की है.विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मांग के आधार पर डीपीटी और बीसीजी के लिए करीब 65 फ़ीसदी दवाएं भारत में बनती हैं और खसरा के 90 फ़ीसदी टीके भारत बनाता है.
भारत अपनी API की पूर्ति के लिए 85 % चीन पर निर्भर है या यु कहे की लगभग सभी pharmaceutical Company इस APIके लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर है।आज भारत पुरे विश्व में मानवता के नाते कोरोना से लड़ने में सहायकHydroxychloroquine दवाई पुरे विश्व को दे रहा है उसका 75 % A P I( कच्चा माल)भी चीन से आ रहा है।
90 के दशक में भारत A P I का निर्यात करता था ~आपको जानकर हैरानी होगी की जिस API का भारत आज 85 % चीन से आयात करता है। वही 90के दशक में भारत API का निर्यात करता था. चीन सरकार की व्यापारिक प्रोत्साहन निति और सस्ते मजदुर सस्ती बिजली और सस्ती दर पर जगह के कारण pharmaceutical क्षेत्र ने वहाँ जबरदस्त तरक्की की और विश्व में pharmaceutical क्षेत्र में अग्रणी हो गया,इसके विपरीत भारत सरकारों का उद्योगों के प्रति उदासीन रवईया दवा कम्पनीयो को पीछे की तरफ धकेलता रहा ,अफसरशाही,पर्यावरण विभाग की कड़ी शर्तो के कारण भारत इस क्षेत्र में पिछड़ता चला गया। चीन में व्यापार करना भारत से हर लिहाज से बेहतर रहा है. इसी का परिणाम है की भारत 90 के दशक का निर्यातक आज 85 %API आयात करता है, इस विषय के जानकार कहते है की भारत एपीआई में आत्म निर्भर बन सकता है ,लेकिन उसमे वक़्त लगेगा एवं सरकार की इच्छा शक्ति का इसमें अहम योगदान रहेगा।
चीन की गीदड़ भभकी ~जानकार मानते है की API बंद करने की चीन की सिर्फ गीदड़ भभकी है क्योकि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है , जिसे चीन कभी भी खोना नहीं चाहेगा , ये वहा की मीडिया के द्वारा फैलाया जा रहा सफेद झूठ है. ऐसा चीन पहले भी बहुत बार कऱ चुका है, 2014 में सीमा विवाद के वक़्त भी ऐसी ही धमकियाँ चीन द्वारा दी जाती थी और आज की परिस्थितियो में वो ऐसा कई देशो के साथ और कर भी रहा है। आस्ट्रलियाँ इसका ताजा उदहारण है।
कोरोना काल और विश्व में चीन की स्थिति आज जब सम्पूर्ण विश्व एक सुर में कोरोना के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है तथा इस पर कार्यवाही की मांग कर रहा है। बहुत से देश चीन के साथ अपने सम्बन्धो पर फिर से पुनर्विचार कर रहे है। बहुत से देश चीन से अपने व्यापार को समेटने तक की तैयारी तक कर चुके है। ऐसे में चीन की बौखलाहट साफ देखी जा सकती है , ये धमकी भी उसी बौखलाहट का परिणाम कही जा सकती है। अंत में कोरोना काल का दौर है , जब तक जरुरी ना हो घर से बहार ना निकले ,सतर्क रहे स्वस्थ रहे।