विकास दुबे 30 साल के साम्राज्य का 7 दिन में अंत.
विकास दुबे |
विकास दुबे जिस नाम को पुरे भारत में पिछले 7 दिनों से बच्चा बच्चा जान गया है,देश में ये नाम नया है
,लेकिन कानपुर क्षेत्र में इस नाम की दहशत पिछले 30 सालो से थी,चौबे पुर थाना क्षेत्र में वसूली,डकैती और जो जमीन पसंद आ गयी उस पर ही अपने नाम का बोर्ड लगा देना ये कहानियाँ इस नाम के साथ जुडी हुई है,विकास दुबे से ज्यादा पंडित जी का नाम ज्यादा मशहूर था.विकास दुबे मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव का रहने वाला हैं।
विकास के पिता किसान हैं और कुल तीन भाई यो में सबसे बड़ा विकास दुबे था है,विकास के एक भाई की क़रीब आठ साल पहले हत्या कर दी गई थी.
विकास और रिचा ने प्रेम विवाह किया था,एयर फोर्स कर्मी एचपी निगम की पुत्री रिचा कानपुर में विकास की बुआ के घर के पास रहती थी,रिचा का भाई राजू निगम विकास का जिगरी दोस्त था। 1997 में विकास दुबे ने रिचा को भगाकर प्रेम विवाह कर लिया। इस बात का राजू निगम के घर में विरोध भी हुआ,विकास दुबे के दो बेटे हैं जिनमें से एक विदेशी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है.
शुरू में विकास का साथ देने वाले राजू निगम और विकास में मतभेद हुआ तो राजू निगम मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के बुढार कस्बे में आकर रहना शुरू कर दिया। इसके बाद से राजू का बहन रिचा और विकास से कोई संबंध नहीं रह गया।
साल 1999 में फिल्म अर्जुन पंडित आई जिसमे सनी देओल के पंडित वाले रोल से इतना प्रभावित हुआ कि अपने नाम के आगे विकास पंडित लिखने लगा। इसके बाद इलाके में वह पंडित जी के नाम से जाना जाने लगा.
कुख्यात विकास दुबे के आपराधिक सफर की शुरुआत साल 1990 में हुई थी, जब हत्या के एक मामले में उसका नाम आया था,30 साल के आपराधिक जीवन में उसके खिलाफ 60 से ज्यादा मामले हत्या,हत्या के प्रयास, डकैती, जमीन पर कब्जे और रासुका जैसे मामले दर्ज हुए थे।
उसके ऊपर साल 1994 में हत्या युक्त डकैती का मामला बिल्हौर में दर्ज किया गया था ।
जमीन पर कब्जे के एक मामले में साल 2000 में विकास दुबे ने शिवली थाना क्षेत्र के ताराचंद्र इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी था ,इस केस में विकास मुख्य नामजद था।
थाने में दर्ज रिपोर्ट्स के मुताबिक़, साल 2000 में ही विकास दुबे के ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साज़िश रचने का आरोप भी लगा था.बताया जा रहा है कि यह साज़िश विकास ने जेल से ही रची थी.
साल 2001 में शिवली थाने में घुसकर उसने तत्कालीन राज्य सरकार का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता और श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। इस मामले में थाना प्रमुख सहित सभी पुलिसकर्मी गवाह बने थे। मगर, विकास के डर से किसी ने भी कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही नहीं दी।
संतोष शुक्ला हत्याकांड के बाद विकास का दबदबा इतना बढ़ गया कि फिर किसी ने भी उसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत ही नहीं की।
साल 2002 में शिवली नगर पंचायत के तत्कालीन चेयरमैन बम और गोलियों के हमला किया। इस मामले में उसे उम्र कैद की सजा मिली, लेकिन राजनेताओ के संरक्षण के कारण वह जल्द ही जेल से बाहर आ गया।
साल 2004 में उसने केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या कर दी.
पुलिस के मुताबिक़, इनमें से कई मामलों में विकास दुबे जेल जा चुके हैं लेकिन ज़मानत पर लगातार छूटते रहे.साल 2013 में भी विकास दुबे का नाम हत्या के एक मामले में सामने आया था.
साल 2018 में विकास दुबे पर अपने चचेरे भाई अनुराग पर भी जानलेवा हमला कराने का आरोप लगा था जिसमें अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी.
चौबेपुर थाने में दर्ज तमाम मामलो में बहुत से अवैध तरीक़े से ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त से भी जुड़े हैं. इन्हीं की बदौलत विकास दुबे ने कथित तौर पर ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाई है.
बिठूर में ही उनके कुछ स्कूल और कॉलेज भी चलते हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार साल 2002 में जब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी, उस वक़्त विकास दुबे की तूती बोलती थी इस दौरान उन्होंने न सिर्फ़ अपराध की दुनिया में अपना दबदबा क़ायम किया बल्कि पैसा भी ख़ूब कमाया.
हर राजनीतिक दल में विकास दुबे की पैठ थी और यही वजह है कि आज तक उसे पकड़ा नहीं गया,पकड़ा भी गया तो कुछ ही दिनों में जेल से बाहर आ गया.