चीनी सामान की ऑनलाइन बिक्री पर लगाम लगाने के लिए सरकार का ई-कॉमर्स (e-commerce)कंपनियों को उत्पाद के मुख्य स्थान (made in….) को बताने के निर्देश .

कोरोना के लिए लगभग पुरा विश्व चीन को दोषी मानता है, और उस पर तरह तरह के प्रतिबंध लगा रहा है,जिससे चीन की बोखलाहट बढ़ती जा रही है,आज चीन अपने आप को सुपर पॉवर मान कर हर किसी को धमकी भरे अंदाज में चेतावनी देने से नहीं हिचकिचा रहा है,कुछ समय से अपनी विस्तारवादी निति के कारण उसका किसी न किसी  देश के साथ विवाद चल रहा है,भारत के साथ वो लद्दाख में उलझा हुआ है. 
कोरोना तथा लद्दाख विवाद के कारण भारत में चीन का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। 

चीन में निर्मित सामान की बिक्री पर भारत सरकार की नजर –

मोदी सरकार ने भी अब चीन को आर्थिक मोर्चे पर घेरना शुरू  कर दिया है,बहुत से सरकारी प्रोजेक्ट में चीन की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है,इस कार्य में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारे दोनों ही मिलकर कार्य कर रही है, दूरसंचार क्षेत्र में चीन में निर्मित सामान ना लगाने का फैसला,महाराष्ट्र सरकार का 5000 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट पर रोक,योगी सरकार के द्वारा भी कई प्रोजेक्ट पर रोक ,हरियाणा में विधुत क्षेत्र में चीन के टेंडर खत्म करने के फैसले आदि ये तो कुछ  प्रोजेक्ट है आने वाले वक़्त में और प्रदेश भी इस पर विचार कर रहे है.
अब मोदी सरकार ने चीन में निर्मित सामान की भारत में बिक्री पर नजर लगा ली है,इस मामले में कमजोर कड़ियों को ढूंढा जा रहा है।  

चीनी सामान की ऑनलाइन बिक्री पर लगाम लगाने के लिए सरकार का ई-कॉमर्स (e-commerce)कंपनियों को उत्पाद के मुख्य स्थान (made in....) को बताने के निर्देश .




उत्पादन का मुख्य स्थान (main source) बताना जरूरी- 

इसी क्रम में सरकार ने अब ऑनलाइन कम्पनीयो को जो उत्पादन उनके प्लेटफार्म पर बिक रहा है,उनके उत्पादन का मुख्य स्थान (main source) बताने के लिए कहा है, बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी)की बैठक आयोजित की गई,जिसमे amazon (अमेजन), flipkart(फ्लिपकार्ट),snapdeal(स्नैपडील) जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर बिकने वाले उत्पाद के मुख्य स्थान (main source) को बताने के लिए कहां गया है . 

चीनी सामान की ऑनलाइन बिक्री पर लगाम लगाने के लिए सरकार का ई-कॉमर्स (e-commerce)कंपनियों को उत्पाद के मुख्य स्थान (made in....) को बताने के निर्देश .

भारतीय बाजार में online market(ऑनलाइन मार्किट) का हिस्सा लगभग40% के करीब हो चूका है और amazon,flipkart,snapdeal जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर चीन में निर्मित सामान की बिक्री बहुत ज्यादा होती है,जिसमे चीन में निर्मित ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड दोनों तरह का सामान होता है 

 कई बार देखा जाता है इन पर किसी तरह की कोई लेबलिंग भी नहीं होती, जिससे उपभोक्ता को पता भी नहीं चलता की ये कहाँ पर निर्मित है ,और वो धोखे से चीनी सामान खरीद लेता है। 

 सरकार अब इस पर सख्त हो गयी है, और हर उत्पाद पर mrp के साथ साथ made in ……  को भी अनिवार्य किया जा रहा है,ताकी  खरीदार को ये पता चल सके की सामान कहां पर बना है,भारत में बने सामान पर मेक इन इंडिया (make in india )लिखा होगा तो चीन में निर्मित सामान पर मेड इन चाइना (made in chaina )या मेड इन P  R  C(made in P R C ) लिखा होगा।इससे खरीददार को चुनाव करने में आसानी होगी की वो कहां पर निर्मित सामान खरीदना चाहता है। 
बुधवार को हुई  मीटिंग में सूत्रों के मुताबिक बैठक में ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से उनके प्लेटफार्म पर बेचे जाने वाले उत्पादों के मूल सोर्स (जिस देश में उत्पाद बना है) की घोषणा करने के मामले में होने वाली परेशानियों के बारे में बताया 


चीनी सामान की ऑनलाइन बिक्री पर लगाम लगाने के लिए सरकार का ई-कॉमर्स (e-commerce)कंपनियों को उत्पाद के मुख्य स्थान (made in....) को बताने के निर्देश .


उन्होंने कहां की कई ऐसी वस्तुए है जो फिट तो भारत में होती है लेकिन उसके पार्ट अन्य देशो से आते है ,ऐसी स्थिति में उसे कहां पर उत्पादित माना जाये,उदाहरण के लिए कई MOBILE है जो असेम्बल (ASSEMBLE) तो भारत में होते है लेकिन उनका मुख्य सामान अन्य देशो से आता है 
इसके साथ साथ कंपनियों ने कहां की अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के प्लेटफार्म पर बिकने वाले उत्पादों की संख्या करोड़ों में है उन्हें अपने प्लेटफार्म के विक्रेताओं को उत्पाद के मूल सोर्स या देश को बताने के लिए दिशा-निर्देश बताने होंगे. 
सूत्रों के अनुसार  सरकार जल्द ही उत्पाद के मूल सोर्स (main source)से सम्बंधित एक दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।
 भारत में एसेंबल उत्पाद को मेक इन इंडिया की श्रेणी में रखा जा सकता है। अगर किसी उत्पाद पर 20-50 फीसद तक वैल्यू-एडिशन किया गया है तो उसे भी स्थानीय उत्पाद मानने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन इससे पहले अभी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ एक बार और बैठक आयोजित की जाएगी। यह बैठक अगले 10-15 दिनों में हो सकती है।
सरकार उत्पाद के मूल सोर्स को बताना अनिवार्य करना चाहती है। सरकारी ई-मार्केट पर इस शर्त को अनिवार्य कर दिया गया है, इसका मुख्य उदेश्य ग्राहक को उत्पाद के उत्पादन स्थान को बताना है,ताकी वो इसकी खरीद के विषय में पुर्णतया और पारदर्शिता से विचार कर सके,जो एक ग्राहक का हक़ है, और अनजाने में किसी भी वस्तु की खरीद से बच सके।  
गौरतलब है की इस जानकारी के आभाव में ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के जरिए चीन के उत्पाद की धड़ल्ले से बिक्री  हो  रही है .  

भारत मजबूत है… मजबूर नहीं -महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार का चीनी कंपनियों को बड़ा झटका.पांच हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की तीन बड़ी परियोजनाओं पर रोक लगायी.👈click here

भारतीय क्रिकेट जगत से भी चीन की विदाई पर विचार,BCCI की बैठक में चीनी प्रायोजकों के साथ अनुबंध पर चर्चा,VIVO के IPL से बाहर होने की संभावना.👈click here













Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *