20लाख करोड़ का पैकेज ,MSME सेक्टर का अर्थ,MSME की नयी सीमा,ग्लोबल टेंडरिंग के नए नियम और व्यापार जगत को इसका फायदा।


 20लाख करोड़ का पैकेज ,MSME सेक्टर का अर्थ,MSME की नयी सीमा,ग्लोबल टेंडरिंग के नए नियम और व्यापार जगत को इसका फायदा। 

मोदी जी ने शपथ लेने के साथ एक नारा “मेक इन इंडिया” का लगाया था, लेकिन उस नारे को ज्यादा बल नहीं मिला,इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी कार्य प्रणाली का वही पुराना तरीका लटकाओ,भटकाओ वाली निति रहा।  

अगर सुविधा और अवसर मिले तो कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो फायदा नहीं  उठाना चाहेगा। लेकिन भारत में अक्सर देखा गया है घोषणा और जमीनी स्तर पर उस घोषणा के क्रियान्वन में जमीन आसमान का फर्क होता है।   भारत जैसे विशाल देश में जहाँ  दुसरे देश सम्भावनाये ढूंढ मौके  का फायदा उठा जाते है ,वही भारतीय नौकर शाही से परेशान यहाँ के मुल व्यापारी मुँह ताकते रह जाते है। 

एक राष्ट्र को विकसित राष्ट्र बनाने की हर संभावना से परिपूर्ण (प्राकृतिक संसाधन,मेन पावर,विश्व में सबसे बड़े बाजारों में से एक) है भारत।  

एक छोटी सी बात 1990 तक हम जिस A P  I(दवाइयाँ बनाने का मुख्य कच्चा माल)को हम चीन व अन्य  देशो को बेचते थे वही सिर्फ 30सालो के बाद   जरूरत का 85 % AP I(दवाइयाँ बनाने का मुख्य कच्चा माल) हम आज चीन से खरीदते है.हमारे साथ वाला चीन हमे इस एपीआई की सप्लाई रोकने की धमकी देता है

 चीन और भारत के सिस्टम को देखे और मुख्य कारण की तह में जाये तो सरकारी अफसरों और सरकार की नीतियों के कारण भारत में API के कच्चे माल की किमत चीन से 20 % तक बढ़ जाती है। इस कारण ये चीन से मंगवाना सस्ता पड़ता है।  

कोरोना के बीच चीन में होने लगी भारत को API निर्यात रोकने की बात  क्या होता है A P I  जानने के लिए क्लिक करे।  


भारत में एक व्यापारी को देश के विकास में भागीदार नहीं अपितु संदिग्घ की नजर से देखा जाता है,इतने डिपार्टमेन्ट इतने नियम,इतने कागजो की पुर्ति  व्यापारी इन सब मे उलझ कर रह जाता है


ये कड़वी सच्चाई है की हम दूसरे देशो पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो चुके है , विश्व का सबसे बड़ा बाजार जहाँ दुसरे देश आकर अपना माल बेच जाते है और हमारे व्यापारी भाई उनका मुँह देखते रह जाते है , 

देश में बेरोजगारी भुखमरी का भी मुख्य कारण यही है,क्योकि माल बिकता है भारत में लेकिन बनता है अन्य देश में ,अब जहा बनता है वही पर तो रोजगार की उपलब्धता ज्यादा होगी।

 कोरोना भारत के लिए एक सुनहरा अवसर भी लेकर आया है इसका मुख्य कारण आज पुरे विश्व में चीन की आर्थिक भुख की जमकर आलोचना हो रही है ,आज विश्व का बहुत बड़ा भूभाग भारत में चीन का विकल्प ढूंढ रहा है.

 मोदी जी ने इस बात को बहुत बेहतर तरीके से समझा है,इसके साथ साथ आज कोरोना ने व्यापार जगत की कमर तोड़ दी है,अर्थव्यवस्था को भी एक इकोनॉमिक टॉनिक देकर खड़ा करना जरूरी था,इसलिए  मोदी जी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है,इस 20 लाख करोड़ के पैकेज में से आज 6लाख करोड़ के बारे में बात की गयी। 

 

20 लाख करोड़ का राहत पैकेज और MSME सेक्टर 

 आज के राहत पैकेज की मुख्य बात MSME सेक्टर पर ज्यादा फोकस  करने वाली रही मुख्य कारण इस क्षेत्र का बहुत व्यापक स्वरुप होना है 

 M S M E सेक्टर कृषि के बाद भारत में सबसे ज्यादा रोजगार का सृजन करता है,एक अनुमान के मुताबिक करीब 11करोड़ लोग इन छोटी फ़ैक्ट्रियो और  कारखानो में काम करते है ,देश की GDP का लगभग 30 % हिस्सा इसी क्षेत्र से होता है व निर्यात में 40 % हिस्सा इसी क्षेत्र से है,

 ये भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। आत्मनिर्भर बनने के लिए इस सेक्टर को मजबुती देना बेहद जरूरी है.सही मायनो में अगर चीन जैसे मजबुत देश से प्रति स्पर्धा कर सकता है तो भारत का ये ही सेक्टर है।सरकार ने ये बात समझी है और इस दिशा में अपने कदम भी बढ़ाये है। 

    MSME का अर्थ -MSME का मतलबMSME (Micro,Small and Medium Enterprises)सरल भाषा में कहाँ जाये तो छोटे छोटे कारख़ाने,छोटी फैक्ट्रिया आदि को MSME की 3 श्रेणीयो में रखा जाता है.इसके नाम अनुसार MSME  में

M का अर्थ MICRO,

S का अर्थ SMALL, 

M का अर्थ MEDIUM और 

E का अर्थ है ENTERPRISES       

ये व्यापारिक तीन तरह की श्रेणी होती है 

  1.  MICRO  का मतलब बहुत छोटे कारखाने /व्यापारी ,
  2.  SMALL  का अर्थ है छोटे कारखाने /व्यापारी लेकिन बहुत छोटे से बड़े   
  3. MEDIUM  का अर्थ है मध्यम  कारखाने /व्यापारी  लेकिन इन दोनो  से बड़े 

    ये वर्गीकरण व्यापार में निवेश,कर्मचरियो की संख्या आदि और सालाना        व्यापार को देख कर किया जाता है। 

    MSME की नयी सीमा – आज की घोषणा में सबसे महत्वपूर्ण घोषणा कही जाये तो वो है MSME की सीमा का पुनर्मूल्यांकन ये एक ऐतिहासिक निर्णय है.सरल भाषा में किसे MICRO कहाँ जाएगा,किसे SMALL और किसे MEDIUM कहाँ जाएगा इसका दायरा भी बड़ा किया गया है.

                                  MSME में पहले की सीमा 

MSME में MICRO श्रेणी – इस के अंतर्गत वो उद्योग धंधे आते थे जिन में निवेश 25 लाख तक का होता था ,लेकिन आज इस 25 लाख की सीमा में परिवर्तन किया गया है अब ये 1कऱोड तक का निवेश व साथ में 5 करोड़ तक  का सालाना व्यापार करने वाली कंपनी MICRO की श्रेणी में आएगी। सरल भाषा में पहले कंपनी को जो सुविधाएं 25 लाख तक के निवेश पर मिलती थी अब वो ही सुविधाएं 1करोड़ तक के निवेश पर भी मिलेगी,इन सुविधाओं के चक्कर में व्यापारी 25 लाख से ज्यादा बढ़ना ही नहीं चाहता था। अब उसकी ताकत3 गुणा कर दी गयी है अब वो अपने कारखाने में 75 लाख तक का निवेश और कर सकता है। सरल शब्दों में अगर कोई अपने काम को बढ़ाने के लिए 20लाख की मशीन लेना चाहता था ऐसा करते ही उसकी कम्पनी  MICRO से SMALL की श्रेणी में आ जाती और उसकी MICRO वाली सुविधाएं समाप्त हो जाती इस भय से वो मशीन लेने से हिचकचाता था।अब वो 20लाख की नयी मशीन लगा कर भी MICRO वाली सुविधाएं ले सकेगा।  इससे उसकी कार्य क्षमता और कमाई दोनों में बढ़ोतरी होगी 

 MSME में SMALL ENTERPRISES श्रेणी – इस श्रेणी की नयी सीमा 10 करोड़ तक का निवेश व 50 करोड़ तक का सालाना व्यापार करने वाली कंपनी SMALL ENTERPRISES की श्रेणी में आएगी। 

  MSME में MEDIUM ENTERPRISES श्रेणी – इस श्रेणी की नयी सीमा 20करोड़ तक का निवेश व 100 करोड़ तक का सालाना व्यापार करने वाली कंपनी इस श्रेणी में आएगी।


 MSME के लिए प्रावधान –

इस सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रूपये सिर्फ लोन के रूप में देने के लिए रखे गए है ये लोन 4 साल तक बिना गारंटी के दिया जायेगा व अगर आप एक साल बाद ब्याज का भुगतान करना चाहते है तो वो सुविधा भी दी गयी है।

इसके साथ साथ MSME  के अंतर्गत आने वाली कम्पनी या जो किसी भी कारण से संकट में फंस गयी है उनके पुनरुथान के लिए 20 हजार करोड़ इस पैकेज में अलग रखे गए है 

इसके अलावा 50 हजार करोड़ इस सेक्टर के लिए  अलग रखे गए है 

 MSME और ग्लोबल टेंडरिंग

इसके अलावा देश में MSME  क्षेत्र के लिए एक बहुत बढ़िया खबर ये भी है की,ग्लोबल टेंडरिंग को अब सीमाओं में बांध दिया गया है,इसकी सीमा 200 करोड़ तय की गई है। सरल भाषा में समझते है सरकार कोई भी चीज खरीदने के लिए टेंडर सिस्टम को अपनाती है,पहले ये सिस्टम था की कोई भी चाहे वो स्वदेशी हो या विदेशी इस टेंडर में भाग ले सकता था लेकिन अब 200 करोड़ तक के टेंडर में सिर्फ भारतीय कंपनी ही भाग ले सकती है विदेशी कम्पनियो को अब इस टेंडर में भाग लेने की इजाजत नहीं होगी। 

 होता क्या था की विदेशी कम्पनीया खासकर चीन की कंपनीया सस्ती  रेट भर कर टेंडर हासिल कर लेती थी और भारतीय कम्पनीया मुँह ताकती रह जाती थी। अब विदेशी कम्पनीयो का मार्ग ही बंद कर दिया गया है। और 200 करोड़ तक के टेंडर को विशुद्ध भारतीय कर दिया गया है 

पहला कदम जो सरकार ने बढ़ाया है अब व्यापारिक सरलीकरण की दिशा में जोर भी दिया जा रहा है.अथार्थ सरकारी खाना पूर्ति भी कम करने की दिशा  में तेजी से कार्य चल रहा है।

 सार स्वरुप सरकार के ये नए कदम देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक साबित होने वाले है। 


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