कोरोना की दवा बनाने का इजरायल का दावा सच्चाई के कितना नजदीक

कोरोना की दवा बनाने का इजरायल का दावा सच्चाई के कितना नजदीक 


कोरोना से पूरा विश्व लाचार और बेबस नजरो से मानव जाति की भयंकर हानि होते देख रहा है और इस टेक्नोलॉजी के युग में अब तक कुछ भी ना कर पाने का दर्द हर देश के चेहरे पर देखा जा सकता है,ऐसा नहीं है प्रयास नहीं हो रहे आज लगभग कोरोना की दवाई की खोज में 100 से ज्यादा देशो की वैज्ञानिक टीम लगी हुई.
कोरोना की दवा के लिए ट्रायल100से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल प्री-क्लीनिकल ट्रायल पर हैं और उनमें से कुछ का इंसानों पर प्रयोग शुरू किया गया है.इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण इसकी दवाई की खोज न होना है  

कोरोना की दवा बनाने का इजरायल का दावा सच्चाई के कितना नजदीक

कोरोना की दवा और इजरायल का दावा-कोरोना वायरस की दवा को लेकर इजराइल ने बहुत बड़ा दावा किया है पिछले दो दिनों में इजराइल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च ने ऐतिहासिक साइंटिफिक खोज में कोरोना वायरस के खिलाफ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बना लिया है तथा इस एंटीडोट में नुकसान पहुंचाने वाले प्रोटीन्स सबसे कम मात्रा में है ये एंटीडोट बिलकुल नया तथा शुद्ध रूप में है इस एंटीडोट का परिक्षण कोरोना वायरस पर ही किया गया है जिसमे ये एंटीबॉडी,वायरस पर सीधा अटैक कर उसे शरीर में बेअसर कर देता है.
 कोरोना की दवा और रक्षा मंत्री का ट्वीटदुनियाभर के विस्तृत वैज्ञानिक पड़ताल को देखे तो ऐसा लगता है कि आईआईबीआर पहला संस्थान होगा जो उपरोक्त तीनों मापदंडो को एक साथ पूरा करने में वैज्ञानिक सफलता हासिल कर रहा है 
 एंटीबॉडी को विकसित करने का काम पूरा हो चुका है अब संस्थान इसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया में है पेटेंट के बाद इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जायेगा 

 कोरोना की दवा और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी- मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक तरह का लेब में तैयार किया गया प्रोटीन होता है,इसका इस्तेमाल कैंसर, गठिया और कई तरह के इंफेक्शन में होता रहा है.मोनोक्लोनल एंटीबॉडी रेडिमेड होती है ये मरीज़ के शरीर में मौजूद दुश्मन सेल से जाकर चिपक जाता है. और उसे बेअसर कर  देता है 

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मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कैसे तैयार किया जाता हैजानवर को लैब में ले जाकर जिस तरह के सेल की ज़रूरत होती है, उसे पहले जानवरों (अक्सर चूहों) में इंजेक्ट किया जाता है.लिवर के बिल्कुल पास तिल्ली नाम का एक अंग होता है, जानवर के इस अंग में एंटीबॉडी बनता है. एंटीबॉडी और तिल्ली के सेल को फ्यूज़ करके एक हाइब्रडोमा बनाता है. इससे ही वो एंटीबॉडी बनता है, जिसकी ज़रूरत होती है. जिसे निकालकर इंसानों को दे  दिया जाता है.

कोरोना की दवा पर दावा –इसराइल के रक्षा मंत्री नफ्ताली बेनेट के कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार,रक्षा मंत्री को लैब में वो एंटीबॉडी दिखाई गई है जो वायरस पर मोनोक्लोनल तरीके से हमला करती है और बीमार व्यक्ति के शरीर में वायरस को खत्म  कर देती है.

जरायल में कोरोना की दवा पर कार्यफरवरी में जापान, इटली और दूसरे देशों से वायरस सैंपल लेकर पांच शिपमेंट इसराइल पहुंचीथी.तभी से वहां वैक्सीन बनाने की कोशिशें जारी थीं.

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के साइड इफ़ेक्ट-अमरीका के नेशलन कैंसर इंस्टिट्यूट के मुताबिक़ ज़्यादातर इम्यूनोथेरेपी की तरह ही मोनोक्लोनल एंटीबॉडी देने पर निडल वाली जगह स्किन रिएक्शन हो सकता है और फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं. ये हल्के साइड-इफेक्ट होते हैं,साइड इफेक्ट इस बात पर भी निर्भर करता है कि इलाज से पहले मरीज़ कि सेहत और बीमारी की गंभीरता कितनी है एंटीबॉडी का प्रकार और उसका कितना डोज़ मरीज़ को दिया जा रहा है कुछ विपरीत परिस्थितियो में ही मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का डर हो सकता है.हालांकि बहुत कम मामलों में इतना गंभीर रिएक्शन देखा गया है। 

अंत में इजरायल का दावा अन्य देशो के दावों पर थोड़ा भारी  लगता है ,बाकी  पूर्ण सफलता की कहानी दवा की उपलब्धता के बाद रिजल्ट पर होगी।  
    

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                             घर पर रहे ,सजग रहे स्वस्थ रहे 



























































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