डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO)व डॉ. रेड्डी लैब्स की कोरोना की दवाई 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) की कीमते तय
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO)व डॉ. रेड्डी लैब्स की कोरोना की दवाई 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) की कीमते तय आम लोगो के लिए 990 रूपए में उपलब्ध होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने जिस कोरोना की दवा
2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के पहले बैच को 17 मई को लॉन्च किया था,जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) व हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैब्स द्वारा बनाया गया था,आज उसकी कीमत को तय कर दिया गया है।
2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) की कीमते तय आम लोगो के लिए 990 रूपए में उपलब्ध होगी। जबकि केंद्र और राज्य सरकारों का यह दवा कम कीमत पर उपलब्ध होगी।
डीआरडीओ की प्रयोगशाला आईएनएमएएस द्वारा दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का एक एंटी-कोविड-19 चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित किया गया है।
इस दवाई की सबसे खास बात ये मरीजों की ऑक्सीजन(oxygen) पर निर्भरता को कम करती है माना जा रहा है इस दवा से कोरोना मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद मिलेगी। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा मरीजों के लिए उम्मीदें काफी बढ़ाने वाली है।अब तक सामने आए शोध के अनुसार, यह दवा रोगियों को तेजी से ठीक करने में मदद करती है।
2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवाई कैसे काम करती है-
यह दवा ग्लूकोज का एक सब्स्टिट्यूट है।
कोरोना वायरस अपनी एनर्जी के लिए मरीज के शरीर से ग्लूकोज लेता है,मगर ग्लूकोज के धोखे में वह इस दवा का इस्तेमाल करने लगता है जिससे वायरस को एनर्जी मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल सिंथेसिस बंद होने लगता है।
इस तरह नए वायरस का बनना बंद हो जाता है और साथ ही बाकी वायरस भी मरने लगते हैं।इससे कोरोना मरीजों के अस्पताल में बिताए जाने वाले दिनों की संख्या कम हो जाने की उम्मीद है
ये दवाई कैसे ली जाती है –
कोरोना की ये दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकती है। वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जाना इस दवा को सबसे बेजोड़ बनाता है।
कब और कितनी मात्रा में ली जाती है ये दवा-
यह दवा सैशे (पाउच) में पाउडर के रूप में मिलेगी,जिसे पानी में मिलाकर मुंह से ही मरीज को दिया जाएगा। हालांकि यह दवा की कितनी मात्रा और कितने समय में दी जानी है, इसका निर्णय डॉक्टरों को करना है ।
डॉक्टर मरीज की उम्र, मेडिकल कंडीशन आदि की जांच करके ही दवा की मात्रा व समय पर करेंगे।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बिना डॉक्टर की सलाह, कोरोना से बचने के नाम पर या ज्यादा मात्रा में यह दवा न लेने की चेतावनी भी दी है।
डीआरडीओ ने एक और कारनामा-
डीआरडीओ ने एक और कारनामा करके दिखाया है। इसने एक कोरोना वायरस एंटीबॉडी डिटेक्शन किट तैयार की है। इस किट को ‘DIPCOVAN’ नाम दिया गया है। इसके जरिए SARS-CoV-2 वायरस के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन का भी 97% की उच्च संवेदनशीलता और 99% की विशिष्टता के साथ पता लगाया जा सकता है। इसे दिल्ली स्थित वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है। यह किट पूरी तरह स्वदेशी है और इसे यहीं के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है.