अस्पतालों में हर जगह बॉडी फैली हुई है और लोगों का वहां इलाज चल रहा है।-सुप्रीम कोर्ट की कोरोना मामले में केजरीवाल सरकार पर सख्त टिप्पणी.

भारत की राजधानी दिल्ली कोरोना का मुख्य केंद्र बनने की और अग्रसर है,वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य  सुविधाओं का ढोल पीटने वाली दिल्ली कोरोना के शुरुवाती दौर में ही बुरी तरह से हाफने लगी है.

जबकी जानकार दिल्ली में अभी तो कोरोना की शुरुवात मान रहे है,सरकार खुद दावा कर रही है की जुलाई के अंत तक कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 5लाख से ज्यादा हो जाएगा .

पिछले 50 दिनों से रोजाना टीवी पर अपनी सरकार का गुणगान करने वाली aap सरकार को भी अब भयावहता का अहसास हो गया है,अब वो केंद्र सरकार के साथ सहयोगात्मक और मिल कर कोरोना से लड़ने की बात कर रहे है 

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 पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कोरोना को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है,अस्पतालों की अव्यवस्था,अस्पतालों में बेड की कमी,कोरोना से मरने वालो का आंकड़ा,शवों पर who की गाइड लाइन की पालना ये सब विवाद का विषय है.

 ताजा घटनाक्रम में आज दो बाते  दिल्ली में महत्वपूर्ण हुई पहली –

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली में कोरोना वायरस से स्थिति बदहाल होने  की बात कही और मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए जवाब तलब किया है .

राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात पर आज सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर लताड़ लगाई है ,सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चेन्नई और मुंबई की तुलना में दिल्ली में जांच क्यों कम की जा रही है।

दिल्ली में जो स्थिति है वह भयानक व डरावनी है। अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि अस्पतालों में हर जगह बॉडी फैली हुई है और लोगों का वही  इलाज चल रहा है।

सुप्रीम अदालत ने कहा कि दिल्ली में 2000 बेड खाली हैं लेकिन मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है।अदालत ने उन विडियो का जिक्र किया जिसमें मरीज रो रहे हैं और कोई उन्हें देखने वाला नहीं है। अदालत ने कहा कि ये बहुत ही दुखदाई स्थिति है।अदालत ने कहा कि ये सवाल है कि दिल्ली सरकार कोरोना टेस्ट को कम कर रही है।अदालत ने कहा कि क्या सरकार बनावटी फिगर चाहती है। कैसे टेस्ट को कम किया गया? राज्य की ड्यूटी है कि वह टेस्टिंग को बढ़ाए।


कोरोना मरीजों की मौत के बाद उनके शवों के रखरखाव के तरीके पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी की है।अदालत ने कहा है कि दिल्ली में और उनके अस्पतालों में बहुत बुरा हाल है। होम मिनिस्ट्री की गाइडलाइंस का अनुपालन नहीं हो रहा है। अस्पताल डेड बॉडी का सही तरह से रखरखाव और निपटारा नहीं कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यहां तक कि कोरोना मरीज की मौत के बाद उनके परिजनों को इस बारे में सूचना देने की भी जहमत नहीं उठाई जा रही है। कई ऐसे मामले दिखे हैं जिनमें परिजन अपनों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो पाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एलएनजेपी अस्पताल की स्थिति को गंभीरता से लिया है और उसे भी जवाब दाखिल करने को कहा गया है


दूसरे घटनाक्रम में –

 दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने शहर में कोरोना से निपटने के लिए आज एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है .

दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी राजधानी के हालात पर चिंता जताई है। इसके मद्देनजर दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने शहर में कोरोना से निपटने के लिए आज एक उच्च स्तरीय समिति गठित की। इसमें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव को भी शामिल किया गया है। यह समिति कोरोना से कारगर तरीके से निपटने के लिए सुझाव देगी।

बैजल दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष हैं। सूत्रों के मुताबिक छह सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दो सदस्य और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी शामिल हैं।



स्टेडियमों को कोविड-19 फैसलिटी में बदलने का सुझाव
उपराज्यपाल द्वारा गठित एक अन्य पैनल ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रगति मैदान, तालकटोरा इंडोर स्टेडियम, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अस्थाई कोविड-19 फैसलिटी बनाने का सुझाव दिया है। समिति ने साथ ही त्यागराज स्टेडियम और ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम को भी इसके लिए इस्तेमाल करने की सिफारिश की है।
  वक़्त अपनी तारीफों का नही ,कुछ करने का है,दिल्ली सरकार जुलाई के अंत तक 5 लाख से ज्यादा कोरोना के मामले अकेले दिल्ली में होने का अनुमान लगा रही है।तो फिरअगस्त का क्या? क्या कोरोना जुलाई तक खत्म हो जायेगा .
                                              सजग रहे स्वस्थ रहे,खुद का ख्याल रखे.


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