भारतीय रेल के लिए ये गौरव की बात,12000 H P का रेल इंजन तैयार करने वाला विश्व में छठा देश बना भारत.संचालन शुरू
भारतीय रेल के लिए ये गौरव की बात,12000 H P का रेल इंजन तैयार करने वाला विश्व में छठा देश बना भारत.संचालन शुरू
मई महीना भारत और भारतीय रेल के इतिहास में सबसे गौरवशाली पल लेकर आया है।
मोदी जी के ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को साकार करते हुए बिहार के मधेपुरा रेल कारखाने में देश का सबसे शक्तिशाली एसी इलेक्ट्रिक 12000 हॉर्स पावर इंजन WAG/12B बनकर तैयार है ,रेलवे ने कहा- ये गर्व का पल है .
इसकी सबसे बड़ी विशेषता शक्तिशाली इंजन के साथ-साथ यह हाईस्पीड भी है
संचालन के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से झारखंड के बरवाडीह तक 276 किमी की दूरी इस इंजन ने तय की व इस इंजन के साथ 118 मालगाड़ी के डिब्बे जोड़े गए .और इसका विधिवत पहली यात्रा सफल रही.पूरी दुनिया में पहली बार बड़ी रेल लाइन की पटरी पर उच्च हॉर्स पावर के इंजन का संचालन किया गया है.
इस कामयाबी के साथ भारत दुनिया का छठा ऐसा देश है जो स्वदेश में ही ज्यादा हॉर्स पावर का इंजन बनाने वाले देशों के प्रतिष्ठित क्लब में शामिल हो गया है
रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और स्वीडन आदी देशो को ही पहले ये उपलब्धि हासिल थी .
विश्व में भारत की बढ़ती साख,डॉ हर्षवर्धन बनने जा रहे है(WHO) विश्वस्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष. पुरी जानकारी के लिए क्लिक करे .
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इंजन कोWAG/12Bनाम दिया गया है।
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भारतीय रेल के पास अब तक सबसे क्षमतावान रेल इंजन 6,000 हॉर्स पावर का रहा है .जबकी इस रेल इंजन की क्षमता 12000 हॉर्स पावर की है .अथार्थ दुगुनी क्ष मता का है ये इंजन .
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पहले मालगाड़ी इंजनों की औसत स्पीड 50KMPH होती थी,जबकि इसकी स्पीड 120KMPH है। अथार्थ दुगने से भी ज्यादा .
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पहाड़ी इलाकों में चलनेवाली कई ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए दो-दो इंजनों का इस्तेमाल करना पड़ता है. इस नये इंजन से दो की जगह एक ही इंजन से काम किया जा सके
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इंजन में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) भी दिया गया है, जिसकी सहायता से इन्हें कहीं भी ट्रैक किया जा सकेगा
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ट्विन बो-बो डिजाइन वाले इस रेल इंजन का एक्सल लोड 22.5 टन है जिसे 25 टन तक बढ़ाया जा सकता है .
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कोहरे में भी इसकी रफ्तार कम नहीं होगी. इंजन में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि कोहरे में भी इंजन की स्पीड कम नहीं होगी. इससे कम समय में सामान एक जगह से दूसरे जगह पर पहुंचाया जा सकेगा.
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12,000 हॉर्स पावर की क्षमता वाला इंजन ट्रेन को 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने में सक्षम होगा .
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मधेपुरा रेल कारखाने में तैयार एक इंजन की लागत करीब 25 करोड़ रुपये बतायी जा रही है.
इंजन कोWAG/12Bनाम दिया गया है।
भारतीय रेल के पास अब तक सबसे क्षमतावान रेल इंजन 6,000 हॉर्स पावर का रहा है .जबकी इस रेल इंजन की क्षमता 12000 हॉर्स पावर की है .अथार्थ दुगुनी क्ष मता का है ये इंजन .
पहले मालगाड़ी इंजनों की औसत स्पीड 50KMPH होती थी,जबकि इसकी स्पीड 120KMPH है। अथार्थ दुगने से भी ज्यादा .
पहाड़ी इलाकों में चलनेवाली कई ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए दो-दो इंजनों का इस्तेमाल करना पड़ता है. इस नये इंजन से दो की जगह एक ही इंजन से काम किया जा सके
इंजन में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) भी दिया गया है, जिसकी सहायता से इन्हें कहीं भी ट्रैक किया जा सकेगा
ट्विन बो-बो डिजाइन वाले इस रेल इंजन का एक्सल लोड 22.5 टन है जिसे 25 टन तक बढ़ाया जा सकता है .
कोहरे में भी इसकी रफ्तार कम नहीं होगी. इंजन में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि कोहरे में भी इंजन की स्पीड कम नहीं होगी. इससे कम समय में सामान एक जगह से दूसरे जगह पर पहुंचाया जा सकेगा.
12,000 हॉर्स पावर की क्षमता वाला इंजन ट्रेन को 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने में सक्षम होगा .
मधेपुरा रेल कारखाने में तैयार एक इंजन की लागत करीब 25 करोड़ रुपये बतायी जा रही है.
सबसे आधुनिक रेल विद्युत इंजन कारखाना –19 हजार करोड़ की लागत से मधेपुरा में तैयार देश की सबसे आधुनिक रेल विद्युत इंजन कारखाने में पहला इंजन फ्रांस से लाया गया था,जिसे यहां एसेंबल किया गया.अक्टूबर 2017में फैक्ट्री में प्रोडक्शन शुरू हुआ. 2019 में यहां तैयार पहले इंजन का सहारनपुर में ट्रायल किया गया था.(फ्रांसीसी कंपनी ऑल्सटाम के निवेश के साथ संयुक्त उद्यम में बना ये इंजन )
बिहार के मधेपुरा में प्रति वर्ष 120 इंजनों के निर्माण की क्षमता वाले कारखाने के साथ टाउनशिप भी स्थापित की गई है. यह कारखाना 250 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है.
नये इंजनों का रखरखाव-नये इंजनों के रखरखाव के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और महाराष्ट्र के नागपुर में दो रेल इंजन रखरखाव डिपो स्थापित किये गये हैं.इन परियोजनाओं पर रेलवे ने कुल1,300 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. मधेपुरा में तैयार इलेक्ट्रिक इंजन को इन्हीं डीपो में रखने की व्यवस्था है. मालूम हो कि रेल इंजन कारखाना को लेकर नवंबर 2015 में भारत और फ्रांस के बीच करार हुआ था. यह रेलवे में पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ है.
किसे भी देश के विकास को गति देने के लिए परिवहन व्यवस्था का मजबुत होना अति आवश्यक होता है। ये इंजन इसी सोच को मुर्त रूप देने के लिए तैयार किया गया है। ये बदलते भारत की तश्वीर है .