दिल्ली में कोरोना की स्थिति, covid-19 से मृतको के दाह संस्कार की सुविधाओं को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय की केजरीवाल सरकार को खरी खरी .



कोरोना ने पुरे विश्व में अपना रौद्र रूप दिखाया हुआ है, इससे भारत भी अछूता नहीं रहा सका है,आज भारत पुरे विश्व में कोरोना के मरीजों के हिसाब से 10वे नंबर पर है,जबकी जानकारों का अनुमान है की अभी तो कोरोना का पीक टाइम आना बाकी है,भारत बस इस बात पर थोड़ी राहत की साँस ले सकता है की भारत में मरीजों के ठीक होने की संख्या अन्य देशो से थोड़ी सी बेहतर है,और मृत्यु दर भी अभी तक बहुत कम है,लेकिन जिस गति से कोरोना अपने पैर पसार रहा है मृत्यु दर कम होकर भी बहुत बड़ी जन हानि देश को झेलनी पड सकती है.  


लोक डाउन ने इतने लम्बे समय तक कोरोना को भारत मे अपना रौद्र रूप दिखाने से रोके रखा,लेकिन अब परीस्थितिया आशा अनुरूप बिल्कुल नहीं दिखती है.


सबसे ज्यादा चिंता का विषय चिकित्सा क्षेत्र में हमारी स्थिति है,आजादी के इतने सालो बाद भी हमारी स्वास्थ्य सेवाएं बड़ी दयनीय स्थिति में है,आज देश में कोरोना के60% से ज्यादा मामले 5 बड़े शहरों में दर्ज हुए है, अगर ये आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ अपना मुँह कर लेता है तो स्थिति की भयावहता का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकेगा,क्योकी ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत दयनीय है।वहाँ पर मरीजों के ठीक होने की संख्या और मृत्यु दर दोनों ही आंकड़े अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ते नजर आएंगे .


कोरोना ने देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई की कमर तोड़ कर रख दी है, इसका अंदाज़ा यहां बढ़ते मामलों से लगाया जा सकता है.जिन पांच शहरों में कोरोना के 60% मामले है उनमे मुंबई और दिल्ली सबसे आगे हैं. 


वर्ल्ड क्लास दिल्ली बनाने का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल रोज खुल रही है,कोरोना से लड़ाई में पहले प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था और अब एकअन्य मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक समाचार रिपोर्ट को आधार बनाकर कोरोनो वायरस रोगियों के शवों के दाह संस्कार के लिए सुविधाओं की कमी को लेकर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी है.वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के ज़रिए सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस संगीता ढिंगरा की बेंच ने सख्ती से कहा है कि ये मृतकों केअधिकारों का उल्लंघन था । और ये सब दोबारा नहीं होना चाहिए .

इन रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के शवगृह में 108 शव हैं और वहां सभी 80 स्टोरेज रैक भर चुकी हैं और 28 शवों को एक के ऊपर एक ज़मीन पर रखा गया है. एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि 26 मई को निगम बोध घाट ने आठ शवों को लौटा दिया, क्योंकि ये फेसेलिटी और शवों को लेने की स्थिति में नहीं थी, क्योंकि वहां छह में से सिर्फ दो भट्टी ही काम कर रही हैं. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पांच दिन पहले मर चुके व्यक्ति के शव का भी अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया गया है.


शुक्रवार को दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को जानकारी दी कि वो इस मामले में तुंरत कदम उठा रहे हैं.इसके लिए शवदाहगृह के काम के घंटों को बढ़ा दिया गया है. वहीं एलएनजेपी अस्पताल से कहा गया है कि वो शवों को निगम बोध घाट के अलावा पंचकुइया और पंजाब बाग के शवदाहगृहों में भी भेजें.दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि गुरुवार को 28 ऐसे शवों का दाह संस्कार किया गया और 25 का शनिवार को किया जाएगा.सरकार ने कहा कि बिजली और सीएनजी भट्टियों के अलावा लकड़ी से चलने वाले पारंपरिक श्मशान को भी अधिकृत किया जा रहा है, यह कहते हुए कि सभी श्रमिकों, साथ ही निकायों को पीपीई किट प्रदान की जा रही हैं।


सरकार ने कहा कि श्मशान में काम के घंटे भी सुबह 7 से 10 बजे तक बढ़ा दिए गए हैं। केवल उन शवों को रखा जाएगा जिन्हें पोस्टमार्टम की आवश्यकता है।सरकार ने यह भी जोर देकर कहा कि दिल्ली में COVID-19 मामलों और संबंधित मौतों में अचानक वृद्धि हुई है और मृतक के परिजन शवों का दावा करने के लिए आगे आने से इनकार कर रहे हैं ।

दिल्ली और मुंबई की स्वास्थ्य सेवा अब ज्यादा लम्बे समय तक कोरोना का बोझ नहीं सह पायेगी ,डॉक्टरों को  अब ये डर सताने लगा है कि क्रिटिकल केयर समेत हॉस्पिटल बेड की कमी हो सकती है.क्योकी कोविड-19 के इलाज के लिए आने वाले लोगों में तेज़ बढ़ोतरी हो रही है.

 दिल्ली सरकार ने शुक्रवार के अख़बारों में होम आइसोलेशन की विस्तृत गाइडलाइन वाले विज्ञापन दिए. सरकार का कहना है कि जिन कोरोना मरीज़ों में कोई लक्षण नहीं है या मामूली लक्षण हैं, वो अपने-अपने घर पर ही ठीक हो सकते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं है.दिल्ली की सरकार चाहती है की 80प्रतिशत कोरोना संक्रमितों का इलाज घर पर  हो.

इस विज्ञापन के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाए है की वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करने वाली  दिल्ली के अस्पतालों में बेड की कमी पड़ रही है. इस कारण सरकार लोगों को अस्पतालों में लाना नहीं चाहती.और ना ही केजरीवाल सरकार कोरोना से हुई मौतों के सही आंकड़े बता रही है. 


24 मई को दिल्ली सरकार ने 50 और उससे ज़्यादा बेड की क्षमता वाले निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को 20 प्रतिशत बेड कोविड-19 के मरीज़ों के लिए आरक्षित रखने का निर्देश दिया था. दिल्ली में ऐसे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की संख्या 117 है.और उनमे कोरोना के तकरीबन 700 बेड़ है जिनमे हफ्ते की शुरुवात तक 530 में मरीज़ भर्ती थे 

 दिल्ली के वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड की बात करें तो ताज़ा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ एम्स नई दिल्ली के सभी वेंटिलेटर आईसीयू में कुल 42 बेड हैं.  राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सभी वेंटिलेटर आईसीयू में कुल 67 बेड हैं,  लेडी हार्डिंग अस्पताल में कुल वेंटिलेटर 29 वेंटिलेटर वाले बेड हैं.  सफदरजंग अस्पताल में वेंटिलेटर के साथ वाले 67 आईसीयू बेड हैं.  वल्लभ भाई चेस्ट इंस्टिट्यूट में कुल 6वेंटिलेटर आईसीयू बेड हैं . इन सब के अलावा कुछ बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल् और है जिनमे वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड उपलब्ध है,लेकिन ये सब  covid-19 की भयावहता को देखते हुए बहुत ही ना काफी है.

हालातो पे काफी नजदीक से नजर रखने वालो केअनुसार अभी भयावह स्थिति आना बाकी है.स्वास्थ्य सेवाओं के साथ साथ स्वास्थ्य कर्मीयो की कमी भी एक बहुत बड़ी समस्या बनने वाली है,क्योंकि इस मामले में  हम लिमिट पर पहुंच चुके हैं.

आने वाला महीना बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाला है,क्योकी विशेषज्ञ आने वाले वक़्त को कोरोना का पीक टाइम मान रहे है,और ये वक़्त बहुत बड़ी परीक्षा की घडी साबित होने वाला है .

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने एक निजी चैनल से कहा है कि मामलों की बढ़ती संख्या से घबराने की ज़रूरत नहीं है. क्योकि भारत में रिकवरी रेट संतोष जनक है,और मृत्यु दर बहुत कम है “सभी राज्यों में मिलाकर साढ़े तीन लाख से भी ज़्यादा आइसोलेशन बेड हैं. जिनमें से कुछ हज़ारों में वेंटिलेटर की भी सुविधा है, आईसीयू की सुविधा है. साथ ही रेल मंत्रालय के सहयोग से 30 हज़ार बोगी में लगभग साढ़े तीन लाख बेड तैयार हुए हैं आइसोलेशन के,इसमें आईसीयू इत्यादि सब प्रकार का है.”


सरकारे अपना काम बखुबी कर रही है ,लेकिन सरकारों की भी अपनी एक सीमा होती है,ये एक बहुत तेजी से और बहुत आसानी से फैलने वाली बीमारी है,इसको रोकने में सरकार से ज्यादा देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है 

सरकार ने इतने समय में कोरोना के बारे में जन जन को जाग्रत कर दिया है ,अब हर नागरिक को कोरोना योद्धा बनकर इससे लड़ना होगा तथा स्वयं का,अपने परिवार का,अपने समाज का और अपने देश का बचाव करना होगा .

 इसका ट्रीटमेंट आपके पास नहीं है ,लेकिन इसका मैनेजमेंट आपके पास है. 

जब तक जरूरत ना हो घर पर रहे,बाहर निकले तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे,मास्क का प्रयोग करे बार बार अपने हाथो हो धोते रहे, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पदार्थो का सेवन करे.ये सब मैनेजमेंट कर आप अपने और अपनों के जीवन की रक्षा कर सकते है .












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