एजेएल मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा को झटका16.38करोड़ मुल्य की सम्पति कुर्क के आदेश
एजेएल मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा को झटका16.38करोड़ मुल्य की सम्पति कुर्क के आदेश
प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को अपने एक बयान में कहा कि(एजेएल) और कांग्रेस पार्टी के नेता मोती लाल वोरा की16.38करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी किया गया है.
मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में कांग्रेस पार्टी के नेता मोती लाल वोरा जो एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड(एजेएल)के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर है की16.38 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी किया गया है.यह कुर्की15हज़ार स्क्वायर मीटर में बनी मुंबई में एक नौ-मंज़िला इमारत में की गयी है जिसकी कुल क़ीमत120 करोड़ रुपए है.इसमें से16.38करोड़ रुपए की संपति ज़ब्त की गई। प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत यह प्रोविज़नल अटैचमेंट ऑर्डर कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा और एजेएल के नाम जारी किया या गया है
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क्या है पूरा मामला –
पंचकुला के सेक्टर-6 में भूखंड सी -17 को हरियाणा सरकार ने पहले 1982 में एजेएल को आवंटित किया लेकिन अधिकार पत्र की शर्तों को पूरा नहीं करने पर अक्टूबर 1992 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के संपत्ति अधिकारी ने इस भूखंड को वापस ले लिया था.
28अगस्त 2005 को 1982 की मूल दर पर ही तत्कालीन मुख्मंत्री हुड्डा ने अपनी आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए प्राधिकरण के नियमों के विपरीत नये आदेश के जरिये मूल कीमत तथा ब्याज लेकर 59,39,200 रुपये में फिर से उस भूखंड को एजेएल को आवंटित कर दिया.
इसके लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और शहरी एवं देहात नियोजन के प्रधान सचिव तथा वित्त सचिव की कानूनी राय और सिफारिशों को भी नहीं माना गया। इतना ही नही भूखंड के निर्माण के लिये एजेएल को समय का तीन बार अनुचित रूप से विस्तार दिया और बेदाग संपत्ति के रूप में रिकॉर्ड करवाया
इस एक ही संपत्ति को समय समय पर गिरवी रखकर बैंकों से कर्ज उठाया गया इसी कर्म में पंचकुला (चंडीगढ़ के पास) में एजेएल को गैरकानूनी तरीके से आवंटित इस भूखंड को गिरवी रखकर दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित सिंडिकेट बैंक से कर्ज लिया गया। तथा कर्ज की राशि से बांद्रा स्थित इमारत का निर्माण किया गया. जिसकी16.38करोड़ तक मूल्य की सम्पति कुर्क की गयी है। कर्ज लेने की प्रकिया में धोखा धड़ी पर ये सम्पति कुर्क की गयी है ,पंचकूला भूखंड को पहले ही कुर्क किया जा चूका है। मोतीलाल वोरा और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में केस चल रहा है
एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड(एजेएल) के इतिहास के बारे में जानते है
कांग्रेस ने 1938 में अपने फंड से इस कंपनी की स्थापना की.ये कंपनी नेशनल हेरल्ड, नवजीवन और क़ौमी आवाज़ नाम से अख़बार चलती थी।1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में परिवर्तित कर दिया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया.लेकिन एक अप्रैल 2008 को ये अख़बार बंद हो गए .2008 में कंपनी पर 90 करोड़ रूपए का कर्जा भी हो चुका था .
इसके बाद ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई गयी जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.तथा इस कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के पास थे तथा 24 प्रतिशत शेयर बाकि 4 जनो के पास रहे। और इस कंपनी को 90 करोड़ रुपये बतौर ऋण के कांग्रेस पार्टी से प्राप्त हुए.और इस ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड(एजेएल) का अधिग्रहण कर लिया.
साल 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर की जिसमे उन्होंने आरोप लगाया की ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपए वसूलने का उपाय निकाला जो ‘नियमों के ख़िलाफ़’ है.और नई कंपनी बना कर ‘एजेएल’ की 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति को ‘अपना बनाने की चाल’ चली गई.इसमें धोखाधड़ी का केस बनता है।
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में 26 जून, 2014 को सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित नई कंपनी में निदेशक बनाए गए सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा को7 अगस्त, 2014 को अदालत के सामने पेश होने का आदेश जारी किया
कांग्रेस के नेताओं ने अदालत में कहाँ कि ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की संस्था को ‘सामजिक और दान करम’ के कार्यों के लिए बनाया गया है. और ‘एजेएल’ के शेयर स्थानांतरित करने में किसी ‘ग़ैर क़ानूनी’ प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया है और यह शेयर स्थानांतरित करने की ‘सिर्फ़ एक वित्तीय प्रक्रिया’ थी.
इस मामले में आगे की कार्यवाही जारी है।