राजस्थान में कांग्रेस की लड़ाई दिल्ली तक पहुंची, पायलट खेमा नाराज हो दिल्ली पहुंचा.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर विधायकों की खरीद फरोख्त के  गंभीर आरोप लगाए थे,उन्होंने कहा था कि भाजपा बकरा मंडी की तरह विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है।
 लेकिन 1 दिन के अंदर ही ये मामला अपना रंग बदलते हुए कांग्रेस की आपसी खींचतान के रूप में  जनता के सामने आ गया।

सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की खींचतान –
खबर है की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में उपमुख्यंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकोंं के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं और वहां पार्टी आलाकमान से मिलने की तैयारी कर रहे है, इन विधायकों की संख्या लगभग 24 से ज्यादा बतायी जा रही है और उन्हें मानेसर (हरियाणा )के एक होटल में ठहराया गया है।
शनिवार शाम से ही मुख्यमंत्री निवास पर विधायकों के आने और अपनी निष्ठा प्रदर्शित करने का सिलसिला शुरू हो गया था जो रविवार को भी दिन भर जारी रहा, दोपहर बाद चार बजे तक करीब 40 विधायक मुख्यमंत्री निवास पर पहुंच चुके थे।
 मुख्यमंत्री की ओर से कांग्रेस और इसके समर्थन वाले विधायकों को रविवार रात निवास पर बैठक और डिनर के लिए बुलाया गया है। इसके बाद मंत्रिमण्डल की बैठक भी होगी। इस बैठक से यह स्पष्ट होगा कि कितने विधायक मुख्यमंत्री के साथ है
मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचने वाले विधायकों से कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में निष्ठा होने का पत्र लिया जा रहा है।
अब ये मामला दो पार्टीयो का ना होकर कांग्रेस की अंर्तकलह का हो गया है, सरकार के गठन के वक्त से चल रही खींच तान अब अपने चरम पर पहुंच गयी है,सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य दो युवा नेता जिन्होंने अपने अपने प्रदेश में बहुत मेहनत कर कांग्रेस को पुन जीवनदान दिया लेकिन दोनों को ही निराशा हाथ लगी,राजस्थान में गहलोत की  ऊपर तक की पहुंच ने उन्हें cm पद पर बैठा दिया,तब से ही पायलट और गहलोत के बीच कुछ भी ठीक नहीं है , इसकी  झलक कई बार प्रदेश की जनता को देखने को भी मिली है।

ताजा घटनाक्रम में बताया जा रहा है की मुख्यमंत्री गहलोत मंत्रिमण्डल का विस्तार करना चाहते है और वो  बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों को भी इसमें जगह देना चाहते है,
 लेकिन पायलट इसके लिए राजी नहीं है। इसके अलावा राजनीतिक नियुक्तियों और कुछ अन्य मुददों को लेकर भी मतभेद है .
 विधायक  खरीद फरोख्त के मामले की जाचं कर रहे राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन  ग्रुप ने पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और दो दर्जन से ज्यादा विधायकों को नोटिस दिए है, राजस्थान में मुख्यमंत्री के स्तर पर इस तरह की पूछताछ के लिए नोटिस दिए जाने का यह अपने आप मे पहला मामला माना  जा रहा है।
 इधर इस तरह के नोटिस के बाद पायलट खेमे की तरफ से कुछ नाराजगी की बात भी सामने आई थी .

राजस्थान में कांग्रेस के खुद के 100 विधायक है, वहीं उसके पास बसपा से आए छह और राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह उसके पास 107 विधायक है। हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में उसे निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों को मिला कर कुल 125 विधायकों का समर्थन मिला था
भाजपा के 72 विधायक हैं और इसे समर्थन देने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायकों के साथ इसके पास कुल 75 विधायक है.
दल बदल कानुन के अनुसार – 
 किसी पार्टी के एक साथ दो तिहाई सांसद या विधायक (पहले ये संख्या एक तिहाई थी) पार्टी छोड़ते हैं तो उन पर ये कानून लागू नहीं होगा पर उन्हें अपना स्वतन्त्र दल बनाने की अनुमति नहीं है वो किसी दूसरे दल में शामिल हो सकते हैं।

अब एक परिस्थिति ये बनती है 
की जो 13 निर्दलीय विधायक है वो बीजेपी को समर्थन दे दे ,और कांग्रेस  के कम से कम 26 से ज्यादा विधायक बगावत कर दे तो, गहलोत सरकार के जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। 
BJP  +RLP    = 75 

निर्दलीय        =13 
      कुल      =  88 
कांग्रेस से 26 विधायको  के छोड़ने पर वो दल बदल में अयोग्य घोषित होते है तो विधान सभा की संख्या 200 -26 = 174 रह जाएगी जिसमे बहुमत का आंकड़ा 87 का बनता है  .

 ये लड़ाई सिर्फ पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई है,बीजेपी इस पर बहुत बारीकी से नजर  रख जरूर रही है ,लेकिन वो इस लड़ाई में कूदने से पहले 100 बार सोचेगी। 
इस लड़ाई में आज ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) भी अपने पुराने दोस्त के पक्ष में उतरे और उन्होंने कांग्रेस पर ट्वीट के माध्यम से हमला बोला-


सिंधिया (jyotiraditya scindia) ने ट्वीट में कहा है कि उन्हें अपने दोस्त की हालत पर तरस आ रहा है। पायलट को सीएम गहलोत (rajasthan cm ashok gehlot) दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि कांग्रेस में टैलेंट और क्षमता का कोई महत्व नहीं है।
  सुनने में आ रहा है की सचिन पायलट और सिंधिया की आज मुलाकात भी हुई है। 
पीटीआई के मुताबिक पायलट ने रविवार को 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। 
एक अन्य चैनल के मुताबिक 40 MLA गहलोत के सम्पर्क में नहीं है और 13 निर्दलीय विधायक बीजेपी से सम्पर्क बनाये हुए है.
इन बातो में कितनी सच्चाई है ये तो अगले 1से 2 दिनों में पता चल जाएगा,लेकिन ये जरूर है की इस खींच तान का नुक्सान राजस्थान की जनता को जरूर उठाना पडेगा। 

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