भारत चीन सीमा पर संघर्ष,सिर्फ सीमा विवाद नहीं,बल्की चीन की घबराहट और बौखलाहट का परिणाम है.

हाल के दिनों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अपने चरम पर है,ये विवाद आज का नहीं है,लेकिन आज परिस्थितीया बदलने से इसका स्वरुप भी बदल गया है,आज भारत अपने सीमा क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रहा है,कभी चीन सीमा तक भारत की सेना को पहुंचने के लिए काफी जोर मशक्तत करनी पड़ती थी,आज भारत ने सीमा तक रोड व हवाई पट्टी का निर्माण कर सीमा क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। 

“हिँदी चीनी भाई भाई”के नारो में उलझा कर चीन पहले भी भारत के साथ दगा कर चुका है,भारत ने उस वक़्त से सबक ले और आज की चीन सरकार द्वारा अपनायी जा रही विस्तार वादी निति को ध्यान में रख कर अपने सीमा क्षेत्र को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

चीन ने अपने सीमा क्षेत्र में बुनियादी ढांचा मजबूत कर रखा है। 

प्रत्यक्ष में देखने पर ये मामला सिर्फ सीमा विवाद का लग रहा है लेकिन इसके पीछे और भी बहुत से कारण है,जिनसे चीन की हालत पतली होती जा रही है,और वो इस तरह की हरकते कर रहा है.



आज जब भारत अपने बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान कर रहा है तो चीन को बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही है,इसलिए वो सभी पुरानी संधियों को दर किनार कर सीमा पर तनाव बनाये हुए है तनाव बना कर वो इस सीमा क्षेत्र में भारत के निर्माण कार्य को रुकवाना चाहता है,वो जानता है ही भारत की इस क्षेत्र में मजबूती उसी लद्दाख और वहां के अन्य क्षेत्र में उसे फलने फूलने नहीं देगी .


 पूरा विश्व कोरोना के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हुए उसके खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है,और उस पर तरह तरह के प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है,जबकी भारत की वैश्विक स्तर पर स्थिति काफी मजबूत हुई है,G-7 शिखर सम्मलेन में भारत को आमंत्रित करना,और अन्य अंतर्राष्ट्र्रीय मंचो पर आज चीन की आलोचना और भारत की सराहना चीन को हजम नहीं हो रही है। 

अमेरिका के आर्थिक हमलो से चीन बुरी तरह से बौखला गया है,चीन को लग रहा है कि भारत और अमेरिका ज्यादा करीब आ रहे हैं और अगर भारत,अमेरिका,जापान और आॉस्ट्रेलिया मिल जाते हैं तो चीन की मुसीबत बढ़ा सकते हैं.


चीन को यह भी डर सता रहा है कि भारत अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को अपने अधिकार में लेता है तो उसके सीपीईपी का क्या होगा,क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरता है।

भारत में चीन के बने सामान के खिलाफ एक आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है ,इस के लिए चीन ने  भारत सरकार से अपील भी की थी की ऐसा माहौल बनने से रोके.


सरकार के “लोकल के वोकल “बनने की अपील भी चीन को नागवार गुजरी है। 

चीन की विस्तार वादी निति और गीदड़ भभकियो से पूरा विश्व परिचित है,आज जब भारत  उसके सामने अपने आप को मजबूत कर रहा है तो उसकी बौखलाहट साफ़ दिखायी दे रही है.

जिनपिंग सरकार की अब चीन में आलोचना जोर पकड़ती जा रही है जिनपिंग के अपने भी विश्व में चीन की गिरती साख से चिंतित है,और दबे स्वर में इस पर बात करने लगे है.

 fdi पर भारत के स्टैंड से भी चीन बौखला गया है ,अब विदेशी कम्पनीयो के प्रति भारत के प्रस्तावों ने भी चीन की नींद उड़ा रखी है.

 चीनी सामान का पुरे विश्व में बहिष्कार शुरू हो चुका है,इसका असर चीन जो पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहा है,पर बहुत बुरा पड़ने वाला है, 

चीन कभी भी भारत से प्रत्यक्ष युद्ध में नहीं उतरेगा,क्योकी उसको अपने सैनिको के दम का पता है और भारत की सैन्य ताकत और सहयोगी देशो के साथ भारत के सम्बन्ध जो इस परिस्थिति में भारत के साथ खड़े होंगे 

 सीमा विवाद –पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी


पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का अहम केंद्र है। चारों तरफ बर्फीली वादियों से घिरी इस घाटी में ही श्‍योक और गलवान नदियों का मिलन होता है, पूरे लद्दाख की सुरक्षा के लिए गलवान घाटी बेहद अहम है। यहां से होकर भारत की एक बेहद अहम दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड गुजरती है  

गलवान घाटी भारत के लिए बहुत अहम है और चीन इस बात को समझता है,तभी वह यहां से पीछे हटने को राजी नहीं हो रहा.

साल 1961 में भारत ने पहली बार यहां कब्‍जा किया और आर्मी पोस्‍ट बनाई। इस घाटी के दोनों तरफ के पहाड़ रणनीतिक रूप से सेना को एडवांटेज देते हैं। इसके अलावा गलवान नदी जिस श्‍योक नदी में मिलती है, उसके ठीक बगल से भारतीय सेना की एक सड़क गुजरती है।

 1961-62 के बाद से यह घाटी शांत रही है। पिछले दो दशकों में यहां दोनों सेनाओं के बीच कोई झड़प भी नहीं हुई थी।

 मगर 5 मई के बाद,चीनी सेना गलवान घाटी में अपनी क्‍लेन लाइन से 2 किलोमीटर आगे चली आई जो  भारत की सड़क से दो किलोमीटर दूर है।


 खतरागलवान घाटी में भारत सड़क बना रहा है जिसे रोकने के लिए चीन ने यह हरकत की है। दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड भारत को इस पूरे इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने में बहुत सहयोग करेगी . 

यह रोड काराकोरम पास के नजदीक तैनात जवानों तक सप्‍लाई पहुंचाने के लिए बेहद अहम है।


चीन ने फिंगर 4 के बेस के पास कैंप लगाए हैं। जबकि फिंगर 8 तक भारत का इलाका है। चीन फिंगर 4 तक ही भारत की सीमा मानता है। पैंगोंग झील के उत्‍तरी किनारे पर में चीन ने फिंगर 8 से 4 के बीच 50 वर्ग किलोमीटर से ज्‍यादा भूमि पर कब्‍जा कर रखा है। 


 मई के पहले हफ्ते मे शुरू हुए तनाव को दूर करने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर ताजा घटना के बाद तनाव बढ़ता नजर आ रहा है।

पूरे विवाद पर भारत का रुख साफ है कि तनाव तभी खत्‍म होगा जब चीन अपने सैनिकों को लेकर बॉर्डर के नजदीकी इलाकों से हट जाएगा।


 चीन ने भारतीय इलाके के नजदीक आर्टिलरी और टैंक रेजिमेंट्स तैनात कर रखी हैं। इनके वापस गए बिना भारत तनाव को खत्‍म नहीं मानेगा। चीन को जवाब देने के लिए भारत ने भी सैनिक,उतना ही गोला-बारूद LAC के पास जुटा लिया है।

 गलवान घाटी और पैंगोंग झील, दो मुख्‍य पॉइंट हैं जहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। यहां पर चीन की मौजूदगी दारबुक-श्‍योक-दौलत बेग ओल्‍डी रोड के लिए खतरा है। 


कल चीन सीमा पर उसकी कायराना हरकत का जो करारा जवाब भारतीय शुर वीरो ने दिया है उसकी चीन ने कल्पना भी नहीं की होगी .
  आज भारत में चीन के प्रति जो माहौल पनप रहा है,उसका खामियाजा चीन को भुगतना पड़ेगा,20 वीरो की शहादत से पुरे देश सदमे में है।  

अंत में नमन उन 20 वीरो की बहादुरी को जो सीना तान कर सीमा पर खड़े रहे अपने से 3 गुणा ज्यादा तादात में दुश्मन को मारते मारते वीर गति को प्राप्त हुए .





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