पिनकोड(PinCode)क्या होता है,6अंको में ये कैसे काम करता है,इसके जनक कौन है।जानिए पूरी कहानी।

पिनकोड ( Pincode )

आज के युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से पल भर में दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी संदेश भेजा जा सकता हैं.इंटरनेट युग में लोगों के खत भेजने का तरीका अब post office के बजाय व्हाट्सऐप और ईमेल हो गया है।

लेकिन पिछले कुछ वर्षो तक सुचना आदान प्रदान की पुरा व्यवस्था डाक व्यवस्था (post office)पर ही निर्भर थी जिसमे तकनीकी रूप से पिनकोड ( Pincode ) का इस्तेमाल होता है। भारत में आज भी तमाम सरकारी काम डाक के माध्यम से होते हैं.भारतीय डाक सेवा विश्व की सबसे बड़ी डाक सेवा है।

पहले भारत में पिनकोड ( pincode ) का इस्तेमाल नहीं होता था –

इतने विशाल देश में खतो को एक स्थान से निश्चित स्थान तक भेजने के लिए कोई विशेष तकनीक नहीं थी एक वक्त था जब लोग एक दूसरे को खत लिखते थे तो उस खत को पोस्ट ऑफिस ( Post Office ) में पहले खोलकर पढ़ा जाता था। उसके बाद गंतव्य स्थल के लिए रवाना किया जाता था क्योंकी उस वक्त तक पिनकोड ( Pincode ) सिस्टम का इस्तेमाल नहीं होता था इसलिए यह प्रकिर्या बहुत जटिल होती थी और एक एक खत को खोलकर पढ़ने में समय की बहुत बर्बादी भी होती थी। साथ ही लोगो की गोपनीयता भी इससे प्रभावित होती थी.

जल्द से जल्द डाक को गंतव्य तक बिना किसी की गोपनीयता भंग किये पहुंचाने के लिए एक व्यवस्थित सिस्टम की भारतीय डाक व्यवस्था को सख्त जरूरत थी।

पिनकोड (pincode) के जनक श्रीराम भीकाजी वेलणकर ( Shree Ram Bhikaji Velankar )

पिनकोड (Pincode)
pincode

भारतीय डाक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव Pincode व्यवस्था लाने वाले श्रीराम भीकाजी वेलणकर पढ़ने में मेधावी छात्र रहे,लेकिन गरीबी के कारण वो विज्ञान की पढ़ाई नहीं कर पाए और उन्होंने संस्कृत में अपनी पढाई पुरी की। श्रीराम भीकाजी ने आईएएस परीक्षा भी पास की लेकिन वो इंटरव्यू में सफल नहीं हो पाए।बाद में 1966 से लेकर 1970 तक वो पोस्ट मास्टर जनरल थे। इसके बाद उन्हें कम्युनिकेशन विभाग का एडिशनल सेक्रेटरी बनाया गया।(सूत्रों के अनुसार )

श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने डाक व्यवस्था की जटिलता को सरल बनाने के लिए पिन कोड सिस्टम का मसौदा पेश किया।जिसे 15 अगस्त 1972 को भारतीय डाक व्यवस्था में लागु कर दिया गया।

pincode

भारतीय डाक व्यवस्था करीब 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस के साथ दुनिया की सबसे बड़ी डाक व्यवस्था है

पिनकोड ( Pincode ) कैसे काम करता है

श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने पिन कोड सिस्टम में पूरे देश को 9 भागो में बांट दिया।इनमें से एक जोन भारतीय सेना के लिए भी बनाया गया है।पिन कोड (PIN) का मतलब ( pincode meaning ) – पोस्टल इंडेक्स नंबर होता है,

The first digit of the Pincode indicates the region- पिनकोड का पहला नंबर क्षेत्र को दर्शाता है।

North: 1,2

West: 3,4

South: 5,6

East: 7,8

Army: 9

The second digit in the PIN code indicates the state sub-region पिनकोड का दूसरा नंबर राज्य को दर्शाता है।

दिल्ली-11

हरियाणा-12 और 13

पंजाब-14 से 16 तक

हिमाचल प्रदेश-17

जम्मू-कश्मीर-18 से 19 तक

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड-20 से 28 तक

राजस्थान-30 से 34 तक

गुजरात-36 से 39 तक

महाराष्ट्र-40 से 44 तक

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़-45 से 49 तक

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना-50 से 53 तक

कर्नाटक-56 से 59 तक

तमिलनाडु-60 से 64 तक

केरल-67 से 69 तक

पश्चिम बंगाल-70 से 74 तक

ओडिशा-75 से 77 तक

असम-78

पूर्वोत्तर-79

बिहार और झारखंड-80 से 85 तक

सेना डाक सेवा (एपीएस)-90 से 99 तक

The third digit in the PIN code indicates the sorting district within the region
The last Three digits are assigned to individual post offices

कोड का पहला अंक उस राज्य को दिखाता है जहां खत भेजना है। उदाहरण के लिए हरियाणा के लिए 12 और 13 कोड़ निर्धारित है।हरियाणा के सभी स्थानों के पिन की शुरुआत12 या 13 से होगी। इसके बाद पिनकोड (का दूसरा अंक सब जोन को दर्शाता है।वहीं तीसरा अंक जिले को दर्शाता है। इसके बाद के बचे अंक उस एरिया के पोस्ट ऑफिस को बताते हैं। इस तरह 6 अंको के पिन कोड ( Pin code) को डिजाइन किया गया।

इस प्रकार से पिनकोड के माध्यम से उस डाक घर तक खत आसानी से पहुंच जाता है। राज्यों के लिए निर्धारित कोड निम्न है।

इस क्रांतिकारी खोज ने भारत के डाक सिस्टम की टेक्नोलॉजी को कमाल का बना दिया,आज भी पूरा पोस्टल सिस्टम (postal system )इसी पर निर्भर है .


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